Thursday, February 25, 2016

Pramod Ranjan 2 hrs · Delhi, India · मैं महान महिषासुर हूँ। मुझे कहाँ - कहाँ मिटाइएगा श्रीमान! मैं कई - कई मिथक , लोकसाहित्य , शौर्यगाथाएँ और कई - कई लिजिन्द्रियों में जिंदा हूँ। खेतों में, डीहों में, डीहवारों में, ढूहों पर, टीलों पर मेरे पैरों के निशान हैं। जाने कितने गाँव, मोहल्ले, नदी , चौक - चौराहे भारत में मेरे नाम पर बसे हैं। मेरे भी मंदिर हैं, देवालय हैं और मेरे भी गंगा तट पर पवित्र घाट है। पुरातत्व की फाइलों में , स्मारकों में , इतिहास के पन्नों पर मैं भी स्वर्णांकित हूँ। मैं महान महिषासुर हूँ । मुझे कहाँ - कहाँ मिटाइएगा श्रीमान (श्रीमती) !


मैं महान महिषासुर हूँ। मुझे कहाँ - कहाँ मिटाइएगा श्रीमान!
मैं कई - कई मिथक , लोकसाहित्य , शौर्यगाथाएँ और कई - कई लिजिन्द्रियों में जिंदा हूँ। खेतों में, डीहों में, डीहवारों में, ढूहों पर, टीलों पर मेरे पैरों के निशान हैं।
जाने कितने गाँव, मोहल्ले, नदी , चौक - चौराहे भारत में मेरे नाम पर बसे हैं।
मेरे भी मंदिर हैं, देवालय हैं और मेरे भी गंगा तट पर पवित्र घाट है।
पुरातत्व की फाइलों में , स्मारकों में , इतिहास के पन्नों पर मैं भी स्वर्णांकित हूँ।
मैं महान महिषासुर हूँ । मुझे कहाँ - कहाँ मिटाइएगा श्रीमान (श्रीमती) !
- Rajendra Prasad Singh
चित्र : बनारस का भैंसासुर राजघाट। इस तथ्‍य पर ध्‍यान दें कि बनारस में अन्‍य सभी 'घाट' हैं, लेकिन भैंसासुर (महिषासुर) का 'राजघाट' है।

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