सफ़दर हाशमी जी की पुण्यतिथि पर उनको नमन.
सफ़दर जैसे लोगों मरा नहीं करते सफ़दर एक आवाज़ है जो हमेशा गूंजती रहेगी सफ़दर शोषित समाज की ताकत है ..
सफदर हाशमी एक कम्युनिस्ट नाटककार, कलाकार, निर्देशक, गीतकार और कलाविद थे। उन्हे नुक्कड़ नाटक के साथ उनके जुड़ाव के लिए जाना जाता है। भारत के राजनैतिक थिएटर में आज भी वे एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। सफदर जन नाट्य मंच और दिल्ली में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के स्थापक-सदस्य थे। जन नाट्य मंच की नींव १९७३ में रखी गई थी, जनम ने इप्टा से अलग हटकर आकार लिया था। सफदर की जनवरी १९८९ में साहिबाबाद में एक नुक्कड़ नाटक 'हल्ला बोल' खेलते हुए हत्या कर दी गई थी।
हाशमी जन नाट्य मंच (जनम) के संस्थापक सदस्य थे। यह संगठन १९७३ में इप्टा से अलग होकर बना, सीटू जैसे मजदूर संगठनो के साथ जनम का अभिन्न जुड़ाव रहा। इसके अलावा जनवादी छात्रों, महिलाओं, युवाओं, किसानो इत्यादी के आंदोलनो में भी इसने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। १९७५ में आपातकाल के लागू होने तक सफदर जनम के साथ नुक्कड़ नाटक करते रहे और उसके बाद आपातकाल के दौरान वे गढ़वाल, कश्मीर और दिल्ली के विश्वविद्यालयों में अंग्रेजी साहित्य के व्याख्याता के पद पर रहे।
No comments:
Post a Comment