Saturday, February 13, 2016

खट्टर का खासबाबू जेएनयू की लड़कियों को वेश्याओं से बदतर क्यों बता रहा है ? वह सामाजिक मीडिया के असंख्य गालीगर्दों का एक नमूना भर है . वे जेएनयू की लड़कियों से क्यों डरते हैं ? वे जेएनयू की लड़कियां थीं , जिन्होंने ज्योति (निर्भया) कीशहादत को स्त्री- प्रतिरोध का नया प्रतिमान बना दिया था .वे जेएनयू की लड़कियां थीं , जो फिल्म संस्थानकी बर्बादी के खिलाफ़ और आकुपाई यूजीसी के समर्थन में और रोहित वेमुला के इंसाफ केलिए दिल्ली भर में जुलूस निकालतीं , धरने देतीं, लाठियां खातीं , गालियाँ सहतीं जूझती रही हैं . ये वही लड़कियां हैं , जो यौन उत्पीड़न के एक भी मामले को अनरिपोर्टेड नहीं रहने देतीं , जिसके कारण देश के सबसे भेदभाव- रहित जेएनयू कैम्पस में उत्पीड़न के आंकड़े सब सेज़्यादा दिखाई देते हैं. छद्मराष्ट्रवादी मनुवादी सब सेज़्यादा इन निडर लडकियों से भयभीत हैं.अगर लड़कियां इतनी जागरूक और निडर हो गईं तो ब्राह्मणवाद और बापवाद को कौन बचाएगा ? इन लडकियों कोरोकने केलिए जेएनयू को मिस्मार करना जरूरी है .


खट्टर का खासबाबू जेएनयू की लड़कियों को वेश्याओं से बदतर क्यों बता रहा है ? वह सामाजिक मीडिया के असंख्य गालीगर्दों का एक नमूना भर है .
वे जेएनयू की लड़कियों से क्यों डरते हैं ?
वे जेएनयू की लड़कियां थीं , जिन्होंने ज्योति (निर्भया) कीशहादत को स्त्री- प्रतिरोध का नया प्रतिमान बना दिया था .वे जेएनयू की लड़कियां थीं , जो फिल्म संस्थानकी बर्बादी के खिलाफ़ और आकुपाई यूजीसी के समर्थन में और रोहित वेमुला के इंसाफ केलिए दिल्ली भर में जुलूस निकालतीं , धरने देतीं, लाठियां खातीं , गालियाँ सहतीं जूझती रही हैं . ये वही लड़कियां हैं , जो यौन उत्पीड़न के एक भी मामले को अनरिपोर्टेड नहीं रहने देतीं , जिसके कारण देश के सबसे भेदभाव- रहित जेएनयू कैम्पस में उत्पीड़न के आंकड़े सब सेज़्यादा दिखाई देते हैं.
छद्मराष्ट्रवादी मनुवादी सब सेज़्यादा इन निडर लडकियों से भयभीत हैं.अगर लड़कियां इतनी जागरूक और निडर हो गईं तो ब्राह्मणवाद और बापवाद को कौन बचाएगा ? इन लडकियों कोरोकने केलिए जेएनयू को मिस्मार करना जरूरी है .
Comments
Sandeep Sharma बिल्कुल सत्य ....
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Kanupriya लगता है आजकल लड़कियो को शादी करके बच्चे पैदा सुहा नही रहा है जो विरोध प्रदर्शनों में आ जाती हैं. ऐसी एक पोस्ट कल देखी थी और भी कई हैं. ये IAS जनाब इस समाज की भाषा ही बोल रहे हैं.
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Kanupriya आप भी वैसे कुछ अजीब हैं Jayesh DaveJayesh, यासिर अली की पोस्ट पर उनकी मुस्लिम विरोधी पोस्ट्स पर तो कुछ ऐसे मज़े लेते हैं मानो नास्तिक हों, असली रूप के दर्शन तो यहाँ हुए.
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आस्था सिंह सही कहा आपने
इनकी हालत खराब है...
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Jayesh Dave वाह वाह... सीधे मुस्लिम विरोधी... ज़ात सूँघ ली.... हा हा हा ...
बाकी मैं कैसा हूँ ये जानने के लिए आपको ज़ात सूँघ चश्मा उतारना होगा Kanupriya जी ....
चलो बता देता हूँ..मेरे बारे में......See More
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Kanupriya जी नही धन्यवाद! 2 चेहरे वाले लोगों को देखकर आज भी हैरान होती हूँ ये कमज़ोरी है मेरी. उसी कमज़ोरी में ये टिप्पणी हुई, माफ़ कीजिये आपसे मेरा कोई वास्ता नही.
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Jayesh Dave दो चेहरे वाले ...???
मने आपकी अदालत.. आप वकील.. आप ही जज.. फैसला भी अपने ही हक़ में..???...See More
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Palash Biswas
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Janardan Mishra जात सूंघने का भी अपना ही मजा होता है अफीम , हशीश से ज्यादा नशा होता है ऐसा सुना है...@jayesh
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Jayesh Dave Janardan.. "ज़ात सूंघ पन्थ" ... ये एक पन्थ ही नही अब फल फूल कर "मज़हब" बन गया है.. पवित्र आसमानी शांतिप्रिय के तर्ज़ पर...
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Vijay Gautam Jayesh Dave, dalit, muslim, adiwasi bharat ki gareeb shoshit janta ki grina karne ki is dhun me tum poore pagal ho jaoge. manavata ka rasta akhtyar karo. dimag ko shanti milegi aur kuchh desh ke logo ke liye saarthak kaam karne ki kshamta bhi registan jaise dil me aayegi.
LikeReply46 minsEdited
Vijay Gautam Jayesh Dave, tum khud ko ahinsak brahman sabit karne ke saath saath sangh ke saamuhik jansamhaar ke sandesh ka bhi prachar karte rehte ho. sachchi me ahinsak man ke ho to manavta ka updesh logo ko do. aisi behki behki bin sir pair ki bate karke toh tum apni ki antratma ka hi bura kar rahe ho. John Alia ke sher quote karne ke dambh se koi mahan creative thinker ya pavitr sant hone ka image nahi ban jata.
LikeReply30 minsEdited

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