खट्टर का खासबाबू जेएनयू की लड़कियों को वेश्याओं से बदतर क्यों बता रहा है ? वह सामाजिक मीडिया के असंख्य गालीगर्दों का एक नमूना भर है .
वे जेएनयू की लड़कियों से क्यों डरते हैं ?
वे जेएनयू की लड़कियां थीं , जिन्होंने ज्योति (निर्भया) कीशहादत को स्त्री- प्रतिरोध का नया प्रतिमान बना दिया था .वे जेएनयू की लड़कियां थीं , जो फिल्म संस्थानकी बर्बादी के खिलाफ़ और आकुपाई यूजीसी के समर्थन में और रोहित वेमुला के इंसाफ केलिए दिल्ली भर में जुलूस निकालतीं , धरने देतीं, लाठियां खातीं , गालियाँ सहतीं जूझती रही हैं . ये वही लड़कियां हैं , जो यौन उत्पीड़न के एक भी मामले को अनरिपोर्टेड नहीं रहने देतीं , जिसके कारण देश के सबसे भेदभाव- रहित जेएनयू कैम्पस में उत्पीड़न के आंकड़े सब सेज़्यादा दिखाई देते हैं.
छद्मराष्ट्रवादी मनुवादी सब सेज़्यादा इन निडर लडकियों से भयभीत हैं.अगर लड़कियां इतनी जागरूक और निडर हो गईं तो ब्राह्मणवाद और बापवाद को कौन बचाएगा ? इन लडकियों कोरोकने केलिए जेएनयू को मिस्मार करना जरूरी है .
वे जेएनयू की लड़कियों से क्यों डरते हैं ?
वे जेएनयू की लड़कियां थीं , जिन्होंने ज्योति (निर्भया) कीशहादत को स्त्री- प्रतिरोध का नया प्रतिमान बना दिया था .वे जेएनयू की लड़कियां थीं , जो फिल्म संस्थानकी बर्बादी के खिलाफ़ और आकुपाई यूजीसी के समर्थन में और रोहित वेमुला के इंसाफ केलिए दिल्ली भर में जुलूस निकालतीं , धरने देतीं, लाठियां खातीं , गालियाँ सहतीं जूझती रही हैं . ये वही लड़कियां हैं , जो यौन उत्पीड़न के एक भी मामले को अनरिपोर्टेड नहीं रहने देतीं , जिसके कारण देश के सबसे भेदभाव- रहित जेएनयू कैम्पस में उत्पीड़न के आंकड़े सब सेज़्यादा दिखाई देते हैं.
छद्मराष्ट्रवादी मनुवादी सब सेज़्यादा इन निडर लडकियों से भयभीत हैं.अगर लड़कियां इतनी जागरूक और निडर हो गईं तो ब्राह्मणवाद और बापवाद को कौन बचाएगा ? इन लडकियों कोरोकने केलिए जेएनयू को मिस्मार करना जरूरी है .
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