जिस ध्यानचंद सिंह कुशवाहा ने भारत को सबसे ज्यादा तीन ओलंपिक गोल्ड मेडल दिलाए (1928, 32, 36) उन्हें भारत रत्न नहीं मिला है. पद्म विभूषण तक नहीं मिला जो रजत शर्मा को मिल चुका है.
ध्यानचंद को सम्मानित करने का मामला पद्म भूषण पर ठहर गया.... ओलंपिक में ऐसे देश की झोली खाली है, तो क्या आश्चर्य.
सोचिए, पेप्सी विक्रेता तेंडुलकर को भारत रत्न और दुनिया के महानतम हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद को पद्म भूषण! पद्म विभूषण भी नहीं!
भारत में जातिवाद खत्म हो चुका है!
मध्य प्रदेश के सागर शहर में रह रही ध्यानचंद की बेटी राजकुमारी कुशवाहा से पूछिए इस बात का कितना दर्द है उन्हें. ब्रिटेन की संसद ने ध्यानचंद का सम्मान किया, पर देश ने उन्हें भारत रत्न नहीं दिया.
No comments:
Post a Comment