Tuesday, August 2, 2016

अम्बेडकर से इतना डरे हुये क्यों हो ?

अम्बेडकर से इतना डरे हुये क्यों हो ?

जैसलमेर जिले की चांधन स्कूल के विद्यार्थी ब्लैक बोर्ड पर डॉ अम्बेडकर का नाम लिख देते है तो तुम बर्दाश्त नहीं कर पाते हो। नाम को मिटाते हो और अपनी पूरी ताकत लगाते हो ताकि उस स्कूल के दलित बच्चे सामूहिक टीसी लेकर चले जाये।
महाराष्ट्र के शिरडी में एक दलित युवक के मोबाईल पर बाबा साहब की रिंगटोन बजती है तो तुम उसे मार डालते हो।
कही बाबा साहब की प्रतिमा तुम्हे डराती है तो कहीं बाबा साहब का चित्र तुम्हें भयभीत किये रहता है।
जय भीम तो जैसे तुम्हें अपनी मृत्यु का उदघोष लगने लगा है ...पर शैतान मनु की औरस संतानों ,तैयार रहो । कहीं जय भीम । कहीं 'जय बिरसा जय भीम' ।कहीं 'लाल सलाम' के साथ 'जय भीम' । कहीं 'जय मीम' के साथ 'जय भीम' । कहीं 'जय मूलनिवासी' के संग 'जय भीम' । तो अधिकांश जगह 'जय भीम' के साथ 'जय भारत' और अब तो चारो ओर फिजाओं में 'जय भीम बाबा जय जय भीम' गुंजायमान है।
कहाँ कहाँ मारोगे ? बाबा भीम की सन्तानों को कहाँ कहाँ रोकोगे ?
चांधन स्कूल की घटना अम्बेडकरी चेतना के लिए एक माईल स्टोन बन गयी है।इस विषय को राष्ट्रव्यापी बनाने के लिये दलित शोषण मुक्ति मंच का आभार।
वाकई भीम का किला इतना मजबूत हो चुका है कि उसे कोई नहीं हिला सकता है।
.....आखिर अम्बेडकर युग जो शुरू हो गया है !!

-भंवर मेघवंशी 

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