जो लोग कश्मीर का ठीक से उच्चारण तक नहीं कर पाते, वे कश्मीर की समस्या को कैसे समझेंगे और कैसे हल करेंगे? जी, मैं इस सरकार के बड़े-बड़े मंत्रियों और सलाहकारों की बात कर रहा हूं। इनमें ज्यादातर 'कश्मीर' को 'काश्मीर' और 'करगिल' को 'कारगिल' कहते देखे जा सकते हैं। इनका देखा-देखी हिन्दी मीडिया के कुछ 'महा-पत्रकार' भी 'काश्मीर' और 'कारगिल' जैसा उच्चारण करते हैं! वे विलय(मर्जर) और अधिमिलन(एक्सेसन) का अर्थ और अंतर भी नहीं समझते। उनमें ज्यादातर, न तो वे सूबे का इतिहास जानते-समझते हैं, नभूगोल और समाजशास्त्र। कश्मीर के इतिहास को पढ़़ने में अगर वक्त नहीं लगाना चाहते तो वे कश्मीर के अंतिम महाराजा के सुपुत्र और सूबे के पहले व एक मात्र सदरे-रियासत रहे डा.कर्ण सिंह से ही इनका अर्थ समझने की कोशिश कर सकते हैं। वह तो जीवित इतिहास हैं। अगर उनसे भी नहीं बतियाना चाहते तो एक और विकल्प सुझाता हूं। वे आम आदमी(अगर जाने-पहचाने चेहरे हैं तो वेष-भूषा बदलकर जा सकते हैं!) की तरह पूरे सूबे का दौरा करें। अपने आप समझ जायेंगे कश्मीर समस्या।
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