Saturday, August 6, 2016

उत्तराखंड से

उत्तराखंड से
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बादल पहाड़ पर रुका
और घाटी में बारिश हुई!
मोटी मोटी बूँदें नदी बनकर
बह चली मैदानों में.
पहाड़ की खामोश आँखों ने
देखा है बादल को छाते
बारिश को आते
और नदी को जाते.
पहाड़ के पास कई किस्से हैं सुनाने को
क्या आपके पास
थोड़ा समय होगा ?
-- स्वाति मेलकानी
कविता को अमीबा मान लीजिये
वो जीव जो
अपने ढाँचे बदलेगी
अपने रूपकों के
नकली पैरों के सहारे
आगे बढ़ेगी
वो जो
बहुत कुछ हो जाने की
संभावना के पहले होगी
और बहुत कुछ हो जाने के बाद भी
सांस लेती रहेगी
वो जो
कटने, बटने के बाद
नए जीवों के अंदर पनपेगी
और
खुद को बचाती हुई
खुद भी ज़िंदा रहेगी
अमीबा का मतलब है
'बदलना'
तो इस बदलाव में
कविता कैसे न बदले?
-- प्रकृति करगेती

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