Saturday, August 6, 2016

यह प्रति-कविता है...एंटी-पोएट्री...जैसे कि एंटी-मैटर होता है। यह कविता का ब्लैक-होल है। यह उत्तर-आधुनिकता की कोख से जनमता है। यहां कविताएं गायब हो जाती हैं। कवियों तक को गायब होते यहां देखा गया है। कोई इसे कविता की ताकत कह सकता है लेकिन यह प्रति-कविता का एक सामान्य लक्षण है। इसे ताकत मत कहिये बल्कि यह जो हादसा पैदा कर सकता है उसको लेकर सोचिये।


यह प्रति-कविता है...एंटी-पोएट्री...जैसे कि एंटी-मैटर होता है। यह कविता का ब्लैक-होल है। यह उत्तर-आधुनिकता की कोख से जनमता है। यहां कविताएं गायब हो जाती हैं। कवियों तक को गायब होते यहां देखा गया है। कोई इसे कविता की ताकत कह सकता है लेकिन यह प्रति-कविता का एक सामान्य लक्षण है। इसे ताकत मत कहिये बल्कि यह जो हादसा पैदा कर सकता है उसको लेकर सोचिये। 
जो विचारधारा पर भरोसा रखते हैं उनके लिए यह हादसे के समान ही है कि वह ब्लैक-होल में समा जाए। समर्थक और विरोधी दोनों खेमे में बँटे लोगों को देखिये। दोनों ही तरफ आप पाएंगे कि मार्क्सवादी हैं, गैरमार्क्सवादी हैं और मार्क्सवाद विरोधी भी। यहां तक कि भाजपाई भी छिपकर हैं दोनों तरफ। यह एक पुरस्कृत कविता है लेकिन चयनकर्ता यानि कि उदय प्रकाश की टिपप्णी पूरी बहस में सिरे से गायब है।
सामान्य समझ है कि आप जिस पर हमला कर रहे हैं, उसी के समर्थक भी नहीं हो सकते। 'पोएट्री मैनेजमेंट' का कविता के साथ व्यवहार हिंसक है। यह कविता का उपहास करती है। यह उपहास आपको थोड़ी ही देर में खालीपन से भर देता है। यह खालीपन ब्लैक-होल है। आप घबड़ा उठते हैं। आप जल्दी से इस कविता से दूर कहीं निकल जाना चाहते हैं लेकिन सिहरन आपका पीछा दूर तक करती चली जाती है।

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