कन्हैया की एक तस्वीर फ़ेसबुक पर है जिसमें लालू प्रसाद के पॉंव छूने के लिए वे झुक रहे हैं।इस तस्वीर से कट्टर वामपंथी भड़क उठे हैं।एक ने लिखा है कि समाजवाद के चरणों पर वामपंथ।सच यह है कि न लालू प्रसाद समाजवादी हैं और न कन्हैया वामपंथी।ये नये युग के नेता हैं।
कन्हैया देश का नायक बन जाएगा - ऐसी ग़लतफ़हमी मुझे कतई नहीं है. हां, एक राजनीतिक प्रक्रिया में कैटलाइज़र या उत्प्रेरक के रूप में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका को नकारा नहीं जा सकता. इतिहास के हर दौर में व्यक्ति, यहां तक कि सतह पर दिखने वाली सामाजिक-राजनीतिक ताकतों से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण होती हैं सामाजिक-राजनीतिक प्रक्रियायें. यह ज़रूर है कि प्रक्रियाओं पर उनका असर होता है.
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