Thursday, April 28, 2016

ये रांची(झारखण्ड) के पुलिस वाले हैं. ड्यूटी कर रहे हैं. आदिवासी महिलाओं को पीट बहादुरी दिखा रहे हैं. धन्य हैं ये 'मर्द' लोग शाम को घर जा कर बताएंगे कि ''आज एक औरत की जोरदार पिटाई की? 'एक औरत पीठ पर बच्चा बांधे आंदोलन कर रही थी, उसे भी लतियाया?'' ये कैसा क्रूर लोकतंत्र है? क्या देश आज़ाद है? आदिवासियों की जमीन छीनो, जब वे प्रदर्शन करें तो उन्हें पीटो? महिलाओं को पीटते पुलिस कर्मी क्या बने रहने लायक हैं ? देश मेरा संकट का घर लगता है वर्दी में जब गुंडे आएं डर लगता है लोकतंत्र है देश में माना लेकिन क्यों बंदी-सा अपना स्वर लगता है |

Poet Girish Posted this on FB 
ये रांची(झारखण्ड) के पुलिस वाले हैं. ड्यूटी कर रहे हैं. आदिवासी महिलाओं को पीट बहादुरी दिखा रहे हैं. धन्य हैं ये 'मर्द' लोग शाम को घर जा कर बताएंगे कि ''आज एक औरत की जोरदार पिटाई की? 'एक औरत पीठ पर बच्चा बांधे आंदोलन कर रही थी, उसे भी लतियाया?'' ये कैसा क्रूर लोकतंत्र है? क्या देश आज़ाद है? आदिवासियों की जमीन छीनो, जब वे प्रदर्शन करें तो उन्हें पीटो? महिलाओं को पीटते पुलिस कर्मी क्या बने रहने लायक हैं ? देश मेरा संकट का घर लगता है वर्दी में जब गुंडे आएं डर लगता है लोकतंत्र है देश में माना लेकिन क्यों बंदी-सा अपना स्वर लगता है | 

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