Wednesday, April 27, 2016

Raja Choudhary दुनिया कितनी सुंदर होनी चाहिए .... हाल के कुछ दिनों में कुछ आदिवासी किताबों और विडिओ देखने का मौका मिला !साथ ही बहुत सारें आदिवासी लोगो से भी मिलने का मौका मिला |दुनिया को लेकर जो खूबसूरत ख्याल मेरे मन में पहले था –वह शायद बहुत हद तक बदल गया है |कुछ कहानी –कुछ हकीकत ने सोंचने की प्रक्रिया को बहुत हद तक बदल दिया है |मैं कुछ अगर लिख सकूं तो लिख रहा हूँ :-

Raja Choudhary
दुनिया कितनी सुंदर होनी चाहिए ....
हाल के कुछ दिनों में कुछ आदिवासी किताबों और विडिओ देखने का मौका मिला !साथ ही बहुत सारें आदिवासी लोगो से भी मिलने का मौका मिला |दुनिया को लेकर जो खूबसूरत ख्याल मेरे मन में पहले था –वह शायद बहुत हद तक बदल गया है |कुछ कहानी –कुछ हकीकत ने सोंचने की प्रक्रिया को बहुत हद तक बदल दिया है |मैं कुछ अगर लिख सकूं तो लिख रहा हूँ :-
1 अगर आप झारखंड के आदिवासी इलाकों में जायेंगे तो वहां गैर-आदिवासी को “ दीकू” कहा जाता है | आप को भी गुप्त रूप में दीकू नाम से बुलाया जाएगा | दीकू सुनने में एक सामन्य शब्द है ,लेकिन यह शब्द बहुत ही दार्शनिक और प्रबल है | दीकू का मतलब –एक ऐसा कीड़ा है जो मनुष्यों का खून चूस लेता है |पहले जब लोग तालाबों में नहाने जाते थे-तो दीकू कभी में तो कभी कमर के माध्यम से नस में ऐसे घूस जाता था कि आदमी को पता भी नहीं चलता उसके अंदर कोई घूस गया है और खून चूस रहा है |जबकि खून चूस कर दीकू फूल जाता था |अब यह प्रक्रिया जानवरों के साथ होता है ! मनुष्यों तो अब तालाब में नहाने नहीं जाता है |आदिवासी समुदाय ने दीकू गैर आदिवासीयों को क्यों कहते है ? इस पर विचार लाजमी बनता हैं !
2 अफ्रीका में अक आदिवासी समुदाय है |यह आदिवासी समुदाय बहुत पहले –अफ्रीका के नीचले मैदानी इलाके में रहता था |कुछ समय पहाड़ के बीच वाले –छोड़ पर रहने लगे |अब यह समुदाय पहाड़ के सबसे शीर्ष भाग पर रहा है | यह समुदाय धीरे-धीरे ऊपर इसलिए पहुँच रहें है ,क्योंकि गैर आदिवासी समुदाय हमेशा से उसके समाज में हस्तक्षेप करने की कोशिश करता रहता है |और यह अभी कहता है इन्हें सभ्य बनाना है |जबकि अफ्रीका के इस आदिवासी समूह सभ्य बनने से डरते हैं |उनका मानना है –“गैर आदिवासी लोग हमारा कुटिल भाई है जो भटक गया है |जमीनों के लिए ,छोटी-छोटी चीजो के लिए लड़ाई करता रहता है |इनको अपने जगह रहने दो |हम ऊपर चलते है |” और इस तरह यह समुदाय ऊपर की ओर बढ़ता जा रहा है –गैर-आदिवासी समुदाय से बचने के लिए !यहाँ भी अब मनुष्य को सोचना होगा –क्यों गैर –आदिवासियों को कुटिल ! लड़ाकू कहाँ जा रहा है |जबकि गैर –आदिवासी लोग –उन्हें ही सभ्य बनाने की कोशिश कर रहें है |
3 गिनी में पापुआ नामक आदिवासी है | इनके यहाँ अपराध दर न के बराबर है | एक विशेष अध्यन के तहट यहाँ अवसाद (फ्रस्ट्रशान ) पाए ही नहीं जाते है |भोजन का का बट्बारा तो बहुत ही न्यायिक ढंग से होता है |सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बेहतरीन प्रस्तुती होती है |यहाँ के लोग संतुष्ट और खुश अन्यों जगह से ज्यादा होते है |
ऊपर मैंने तीन उदाहरण दिया |तीनो का महत्व मनुष्य जीवन में अलग अलग स्वरूपों में है |आज जब दुनिया एक बेहतरीन जीवन शैली के अभाव में जूझ रहा है |मनुष्यों को यह पता नहीं चल रहा है कि वह क्या कर के खुश होगा |क्या पाकर खुश होगा ?कहाँ जाकर खुश होगा ?मनुष्य सभ्यता फिर से जीवनदर्श के अभव में जूझ रहा है |हिंसा और अपराध की गति लगातार बढ़ रही है |मनुष्य खुद को यह समझा नहीं पा रहा है –उसे करना क्या है ! तो जरूरत है इस समय खुद के जीवन दर्शन और जीवन शैली को पहचानने की !हम बहुत कुछ आदिवासी समुदाय से भी ले सकते हैं !

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