अपने इरादों में कितना पक्का कोई इंसान हो सकता है, इसकी जीती-जागती मिसल हैं इराम शर्मिला। वह कितना नाजुक मिजाज है, उनके गुलाबी हाथों का स्पर्श आपको एक खरीफ रुहानी अहसास से भर देता है। इतने खौफनाक, खूनी कानून के खिलाफ एतिहासिक जंग लड़ने वाली इरोम को उस घड़ी का शिद्दत से इंतजार है जब वह सामान्य इंसान की तरह जीवन जी सकें, खा सके, पानी पी सकें, बाल संवार सके, आइना देख सकें और सबसे बढ़कर अपने प्रेमी के साथ जीवन गुजार सकें। हालात ऐसे हैं कि ये सामान्य सी ख्वाहिशें कैसी दुरूह हो गई हैं। आइए, हम सब मिलकर उनके मानवता भरे, क्रांतिकारी मिशन को पूरा करने में अपना योगदान करें...याद रहे, वह शहीद नहीं होना चाहती...विजयी होना चाहती हैं...
Let me speak human!All about humanity,Green and rights to sustain the Nature.It is live.
Friday, April 1, 2016
अपने इरादों में कितना पक्का कोई इंसान हो सकता है, इसकी जीती-जागती मिसल हैं इराम शर्मिला। वह कितना नाजुक मिजाज है, उनके गुलाबी हाथों का स्पर्श आपको एक खरीफ रुहानी अहसास से भर देता है। इतने खौफनाक, खूनी कानून के खिलाफ एतिहासिक जंग लड़ने वाली इरोम को उस घड़ी का शिद्दत से इंतजार है जब वह सामान्य इंसान की तरह जीवन जी सकें, खा सके, पानी पी सकें, बाल संवार सके, आइना देख सकें और सबसे बढ़कर अपने प्रेमी के साथ जीवन गुजार सकें। हालात ऐसे हैं कि ये सामान्य सी ख्वाहिशें कैसी दुरूह हो गई हैं। आइए, हम सब मिलकर उनके मानवता भरे, क्रांतिकारी मिशन को पूरा करने में अपना योगदान करें...याद रहे, वह शहीद नहीं होना चाहती...विजयी होना चाहती हैं...
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