आज देश भर के दबे कुचले वर्गों, स्त्रियों, अल्प्सखयको व समानता पर विश्वास करने वालो का मुक्ति पर्व है !
अरुण खोटे
दलित वर्ग इस देश का सही संदर्भो मे सबसे ज्यादा प्रगतिशील , संवेदनशील व अपने अधिकारों के प्रति सजग संघर्षशील सचेतन वर्ग है जो शिक्षा व सभी प्रकार के संसाधनों व अधिकारों से वंचित किये जाने के बावजुद निरंतर संघर्षरत है . वह संघर्षो का अग्रिम दस्ता है l वह देश की प्रगति व निर्माण मे सबसे ज्यादा योगदान करने वाला वर्ग है यह बहुत स्पष्ट रूप से स्थापित हो चुका है . वह देश की कला व संस्कृति की नीव मे बसता है lदुर्भाय से यह सारे तथ्य इतिहास में दर्ज नहीं किये गए है लेकिन अधययन व शोधो मै अब यह बहुत प्रमाणिक तौर से सामने आ रही है l
इस सच को समझने के लिए 14 अप्रैल को संसद मार्ग, दिल्ली में जाना होगा या फिर देश के किसी भी हिस्से मे जाकर किसी भी दलित बस्ती मे जाकर महसूस किया जा सकता है जहाँ दलित डॉ आंबेडकर की जयंती को होली , दीवाली , ईद या फिर बड़े दिन से भी ज्यादा उत्साह से और स्वतः स्फूर्त तरीके से मानते है। लाखों लाख लोग बिना किसी निमंत्रण के संसद मार्ग से लेकर देश के हर हिस्से मे अपने मुक्तिदाता का नमन करते है l
दुनिया या देश भर मे इसकी शायद ही कोई अन्य मिसाल हो . देश के अन्य सभी महापुरुषों की जयंती सरकारी स्तर पर ही मनाई जाती है . उनकी मूर्ति भी सरकार लगाती है . जबकि डा अम्बेडकर की जयन्ती दलित वर्ग पारिवारिक स्तर से लेकर सामूहिक स्तर तक मनाता है।
शायद आज के दिन जितनी पुस्तके दलित वर्ग खरीदता है इतनी पुस्तके एक ही दिन बिकने का रिकॉर्ड दुनिया में कोई और नहीं हो सकता . यह आने वाले वक्त की सुगबुगाहट है जो दलित वर्ग के नेत्र्वत में एक नए समानता के मूल्यों पर आधारित राष्ट्र के निर्माण का संदेश का आगाज़ है।
दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि देश के अन्य सभी वर्ग अपने इस महान मुक्तिदाता के सम्मान या नमन करने से झिझकते या मौन रहते है . OBC , स्त्री व अल्पसंख्यक वर्ग आज भी अपने इस मुक्तिदाता के प्रति मौन रहते है l
यह उनके मुक्तिदाता का पर्व है . जिसने देश के दबे कुचले वर्गों स्त्री , अल्पसंख्यक , श्रूद ,आदिवासी व दलित के समग्र अधिकारों व मुक्ति का अभियान शुरू किया। सम्मान व अधिकारों के संघर्ष के लिए डा अम्बेडकर के विचार आज के दौर मे इन सभी वर्गों के लिए मार्गदर्शक हैं l
आज देश भर के दबे कुचले वर्गों स्त्रियों अल्प्सखयको व समानता पर व्शिवास करने वालो का मुक्ति पर्व है !
.Arun Khote
On behalf of
Dalits Media Watch Team
(An initiative of “Peoples Media Advocacy & Resource Centre-PMARC”)
On behalf of
Dalits Media Watch Team
(An initiative of “Peoples Media Advocacy & Resource Centre-PMARC”)
No comments:
Post a Comment