Tuesday, April 12, 2016

दो दिन पहले सरकारी रेडियो चैनल एफएम् गोल्ड पर ज्योतिबा फुले पर एक कार्यक्रम सुना . पूरे कार्यक्रम में कहीं भी सावित्री बाई फुले का ज़िक्र नहीं था . सवर्ण जातियों द्वारा इस दंपत्ति के किये गये अपमान का पूरे कार्यक्रम में कोई ज़िक्र नहीं किया गया . कहीं नहीं बताया गया कि सावित्री बाई फुले जब अपने द्वारा शुरू किये गये महिला विद्यालय में पढाने जाती थीं तो पांच साडियां ले कर जाती थीं क्योंकि बड़ी जाति के लोग सावित्री बाई फुले से चिढ़ कर उन के ऊपर गोबर फेंकते थे . अलबत्ता बीच बीच में फूलों और गजरों पर बने हुए फ़िल्मी गाने ज़रूर बजाये जाते रहे और श्रोताओं को बताया जाता रहा कि ज्योतिबा फुले माली थे और फूलों के गजरे बना कर बेचते थे इसलिये इनका नाम फुले पड़ा था . सरकार जातिगत प्रतारणा के अस्तित्व को छिपाना क्यों चाहती है ?

दो दिन पहले सरकारी रेडियो चैनल एफएम् गोल्ड पर ज्योतिबा फुले पर एक कार्यक्रम सुना . पूरे कार्यक्रम में कहीं भी सावित्री बाई फुले का ज़िक्र नहीं था . सवर्ण जातियों द्वारा इस दंपत्ति के किये गये अपमान का पूरे कार्यक्रम में कोई ज़िक्र नहीं किया गया . कहीं नहीं बताया गया कि सावित्री बाई फुले जब अपने द्वारा शुरू किये गये महिला विद्यालय में पढाने जाती थीं तो पांच साडियां ले कर जाती थीं क्योंकि बड़ी जाति के लोग सावित्री बाई फुले से चिढ़ कर उन के ऊपर गोबर फेंकते थे .
अलबत्ता बीच बीच में फूलों और गजरों पर बने हुए फ़िल्मी गाने ज़रूर बजाये जाते रहे और श्रोताओं को बताया जाता रहा कि ज्योतिबा फुले माली थे और फूलों के गजरे बना कर बेचते थे इसलिये इनका नाम फुले पड़ा था .
सरकार जातिगत प्रतारणा के अस्तित्व को छिपाना क्यों चाहती है ?

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