Anil Avishraant की वाल से
शिवेन्द्र की कहानियां अद्भुत सम्मोहन रचती हैं.उनके कहन का अंदाज सबसे अलहदा है.उनमें लोक का रस है और कथा का जादू.विस्तृत समयान्तराल में सहजता से आवाजाही करते उनके पात्र पाठक के ठीक बगल बैठ बतियाने लगते हैं .इन कहानियों की किस्सागोई के बीच अपने वक्त की सबसे जरूरी आवाजें दर्ज हैं जो पाठक की चेतना को झकझोरती हैं.तब कहानी महज कहानी नहीं रहती.वह अंधेरे जंगल में दमकती जुगनू बन जाती है.
आभार साथी Shivendra Kumar आपको मैंने लोक विमर्श के शिविर में पहली बार सुना था.आज इन कहानियों को पढ़ते हुए तुम्हारी वही आवाज गूंज रही है.गोया कहानी पढ़ नहीं रहा सुन रहा हूं.
आभार साथी Shivendra Kumar आपको मैंने लोक विमर्श के शिविर में पहली बार सुना था.आज इन कहानियों को पढ़ते हुए तुम्हारी वही आवाज गूंज रही है.गोया कहानी पढ़ नहीं रहा सुन रहा हूं.
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