Thursday, April 14, 2016

'Chetavani Upvaas' for making Justice Jha Commision report public and against the closing of Sardar Sarovar Dam Gates | From 27 to 29 April, 2016 | At Bhopal, Madhya Pradesh | Narmada Bachao Andolan

प्रिय साथी,
सप्रेम नमस्ते

नर्मदा घाटी में सरदार सरोवर के विस्थापितों के 30 सालों से चल रहे संघर्ष से और साथ साथ निर्माण से आप परिचित हैं ही। आप सबका साथ, इन तीन दशकों में समय समय पर, हर गंभीर संकट काल में मिला है। आज फिर समय आया है कि आप और हम मिलकर शासन की धोखाधड़ी, अधिकारों की अवमानना, पुनर्वास बिना 50 हजार परिवारों की धरोहर, संपदा डुबोने की साजिश और भ्रष्टाचारियों को बचाने की तैयारी के सामने शासन को चुनौती दे। नर्मदा का सवाल देशभर के जनसंगठनों से जुड़ा है और जनसंगठन हमसे।
जबकि म.प्र. उच्च न्यायालय से गठित न्या. झा आयोग की 7 सालों से चली जाँच के बाद की रिपोर्ट एनवीडीए और राज्य शासन ने आंदोलन (याचिकाकर्ता होते हुए भी) को नहीं देने की साजिश रची और विधानसभा के नाम पर उच्च न्यायालय को खोलने नहीं दिया, लेकिन विधायकों को भी नहीं दिया, तब यह निश्चित है कि “व्यापम” के बाद अब यह नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण का भ्रष्टाचार भी शासन छुपाना चाहती है। सुप्रीम कोर्ट में अपील याचिका द्वारा हाईकोर्ट की पारदर्शिता के पक्ष में आदेश को राज्य शासन ने चुनौती देते हुए सर्वोच्च अदालत के आदेश से अपने हाथ रिपोर्ट ली है। अब वह मुख्य सचिव के हाथ में है और आने वाले छः हफ़्तों में राज्य शासन को “कार्यवाही रिपोर्ट” यानि “एक्शन टेकन रिपोर्ट” सुप्रीम कोर्ट में पेश करनी है। उस पर फिर सुप्रीम कोर्ट से आंदोलन की सुनवाई होनी है।
झा आयोग की रिपोर्ट से मालूम होगा कि फर्जी रजिस्ट्रियों कितनी हुई है, 1500, 2000 या उससे भी ज्यादा? उसमें कितने करोड़ रू. व्यर्थ गये है, कितने दलालों और साथ देने वाले अधिकारी शामिल है? घर प्लॉट आबंटन और पुनर्वास स्थलों के निर्माण कार्य में कितना घोटाला हुआ है,सिर्फ पैसे का ही नहीं, जमीनों का, अधिकारों का भी, यह पता चलना है। पुनर्वास स्थल रहने लायक हैं या नहीं, नहीं तो क्यों, यह भी साफ मालूम हेाना है। दोषी कौन? यह पता होकर अधिकारी हो या दलाल, उन्हें सजा मिलनी है। उच्च न्यायालय में हमारे जाने के (2007) पहले विस्थापितों को ही जेल भेजा जा रहा था, जिस पर हाईकोर्ट से रोक लगी थी, आगे क्या होता है?, देखा जाएगा।
30 सालों में 14000 आदिवासी, दलित किसान परिवारों को,विशेषत: गुजरात और महाराष्ट्र में जमीन के साथ पुनर्वास मिला लेकिन म.प्र. ने केवल 40 से 50 विस्थापितों को अपने राज्य में जमीन दी। आज भी डूब क्षेत्र में करीबन् 50 हजार परिवार बसे है। म.प्र. शासन ने पहले 4374 और अब 15900 परिवारों को, आधे अधूरे पुनर्वास के लाभ देने के बाद डूब क्षेत्र से ही बाहर कर दिया जो कि अवैज्ञानिक और गैरकानूनी है। धर्मशालाएं, पंचायतें, मंदिर, मस्जिद, दुकाने, बाजार, चालू हैं और मूल गाँव में ही जीवन है, आबादी है, लाखों लाख पेड़ हैं......... जो पुनर्वास बिना कानून और सर्वोच्च अदालत के बड़े फैसलों – 1992, 2000, 2005 के अनुसार डुबा नहीं सकते।
आज झा आयोग की रिपोर्ट के बाद भी, बिना पुनर्वास भ्रष्टाचार में फंसे परिवारों को न्याय और हक तथा दोषीयों को सजा देना बाकी है। फिर भी मोदी शासन ने म.प्र., गुजरात, महाराष्ट्र की सरकारों से हाथ मिलाकर, उनके हितों को अनदेखा करते हुए, सरदार सरोवर बाँध की उंचाई 122 मी. से 17 मी. आगे यानि 139 मी. की अंतिम उंचाई तक बढ़ा दी है। गेट्स भी लगाना करीबन् पूरा करते आये है। इन्हें बंद करने का अघोरी, अन्याय हम नहीं होने दे, जलसमाधि देकर घाटी का विनाश करने से रोके, यह तत्काल जरूरी है।
इसीलिए घाटी के लाखों की ओर से, 27 अप्रैल से 29 अप्रैल,2016 तक बडी संख्या में प्रतिनिधिक ‘चेतावनी उपवास’ भोपाल मेंहोगा।
            इन्हीं दिनों में म.प्र., महाराष्ट्र के कई जिलों में, तहसीलों में,गुजरात और देश के अन्य राज्यों में भी समर्थक संगठन और साथी धरना-उपवास पर बैठेंगे। क्या आप भी आयोजन करेंगे या शामिल होंगे? हर संगठन के कुछ प्रतिनिधि साथी और समर्थक, जरूर भोपाल में भी तीन दिनों तक हमारे साथ रहे। अपने अपने क्षेत्र के विकास के नाम पर विस्थापन और विनाश के खिलाफ आवाज उठायें।
हमारा ऐलान है कि 30 सालों से चल रहे आज भी जारी जनआंदोलन का साथ और सहयोग, इस गंभीर स्थिति में, मोदी शासन और म.प्र., गुजरात की साजिश को चुनौती देने के लिए आप जरूर दें। अपने राज्य में, जिलों में अन्य साथी संगठनों को भी खबर और विनती करे।
आंदोलन को जरूरी है, कानूनी, मैदानी संघर्ष और निर्माण के लिए सभी से आर्थिक और साधन सहयोग क्योंकि आंदोलन ने कोई बड़ा देशी विदेशी फंड नहीं लिया है, जनता के बलबूते और जनसहयोग से ही कार्य चलता आया है और आगे भी चलेगा।
भोपाल के सभी साथियों से विशेष आग्रह है, पहले जैसा ही इस वक्त भी पूरा साथ दें। आप तय करे हम आप तक और अधिक जानकारी  क्या, कैसे पहुंचाये। हम आपसे आयोजित कार्यक्रम की पूर्व सूचना, स्थल,संयोजक संपर्क फोन व ईमेल जरूर भेजे।
27 अप्रैल के रोज नर्मदा घाटी के लोग सुबह ही (27, 28, 29)भोपाल पहुंचेंगे, आशा है आप भी ये तीन दिन 30 साल के संघर्ष के लिए निकालेंगे, जो कि देश के विकास के मुददे पर विस्थापन, विनाश,और विषमता के खिलाफ के साझे आंदोलन के लिए बेहद जरूरी है।

जवाब और समर्थन की अपेक्षा में ! 
आपके साथी
देवराम कनेरा,  कमला यादव,   गोखरू भीलाला,   कैलाश अवास्या,  भागीरथ धनगर, मोहन पाटीदार, कैलाश यादव, मुडुभाई मछुआरा, देवीसिंह तोमर, योगिनी खानोलकर,  नूरजी वसावे,   चेतन सालवे,  जीकु तडवी, पेमल बहन, रमेश प्रजापति,  सनोवर बी मंसूरी,  लोकेश पाटीदार, श्यामा मछुआरा, राहुल यादव,   मुकेश भगोरिया, खेमा भीलाला, मेधा पाटकर 
संपर्क नं. 9179617513, 9826811982

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