पेरियारों को भूमिष्ठ करने में अक्षम भारत भूमि
H L Dusadh Dusadh
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मित्रों मित्रों थान्थई पेरियार का जन्मदिन है.उनके विषय में यही कहा जा सकता है की भूरि-भूरि ऋषि-मुनियों,साधु -संतो और शंकराचार्यों को जन्म देने वाली भारतभूमि कभी इतनी उर्वरक नहीं रही की वह दो-चार और पेरियारो को भूमिष्ठ कर सके.ऐसे पेरियार के प्रति श्र्द्धाशील होना सबके बस की बात भी नहीं रही.पेरियार के प्रति वही श्र्द्धाशील हो सकता है जो धर्मो द्वारा सृजित कुसंस्कारों से पूर्णतया मुक्त व् धर्मों द्वारा शोषित व् वंचित किये गए लोगों के प्रति करुणाशील एवं ईश्वरीय सत्ता को तिरस्कृत कर मानवीय सत्ता सत्ता के प्रति गंभीर भाव रखता हो.लोगों को ईश्वर भय से मुक्त करने के उद्देश्य हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियों पर जन समक्ष झाड़ू और जूते बरसानेवाले पेरियार ने चैलेन्ज करते हुए कहा था-पूजा-पाठ में ही अगर मानव का हित है तो यह सत्य कमसे कम एक बार ईश्वर साक्षात् जन्समक्ष आकर क्यों नहीं इसकी घोषणा करता?अगर जिन –पत्थरों में के बने मंदिरों में ईश्वर रहता है तो वह सामने आकर बताये की उसने छोटा बड़ा आदमी नहीं बनाया?उन्होंने विद्रूप करते हुए कहा था-किसी पत्थर के टुकड़े को मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा कर ईश्वर के रूप ए प्रचारित करने ;उसे मुग्ध करने के लिए देवदासियों का नृत्य,गीत इत्यादि एवं प्रत्येक वर्ष उसके जन्मदिन पर अनुष्ठान आयोजित करने के पीछे कोई युक्ति है?आधुनिक विश्व में कई मशहूर नास्तिक हुए जिन्होंने इश्वर के वजूद को नकारने में बड़े-बड़े दृष्टान्त स्थापित किये किन्तु इस मामले किसी को विश्व चैम्पियन कहा जा सकता है तो वे थान्थई पेरियार ही थे. ऐसे दुर्लभ विश्वरत्न को कोटि-कोटि नमन
मित्रों मित्रों थान्थई पेरियार का जन्मदिन है.उनके विषय में यही कहा जा सकता है की भूरि-भूरि ऋषि-मुनियों,साधु -संतो और शंकराचार्यों को जन्म देने वाली भारतभूमि कभी इतनी उर्वरक नहीं रही की वह दो-चार और पेरियारो को भूमिष्ठ कर सके.ऐसे पेरियार के प्रति श्र्द्धाशील होना सबके बस की बात भी नहीं रही.पेरियार के प्रति वही श्र्द्धाशील हो सकता है जो धर्मो द्वारा सृजित कुसंस्कारों से पूर्णतया मुक्त व् धर्मों द्वारा शोषित व् वंचित किये गए लोगों के प्रति करुणाशील एवं ईश्वरीय सत्ता को तिरस्कृत कर मानवीय सत्ता सत्ता के प्रति गंभीर भाव रखता हो.लोगों को ईश्वर भय से मुक्त करने के उद्देश्य हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियों पर जन समक्ष झाड़ू और जूते बरसानेवाले पेरियार ने चैलेन्ज करते हुए कहा था-पूजा-पाठ में ही अगर मानव का हित है तो यह सत्य कमसे कम एक बार ईश्वर साक्षात् जन्समक्ष आकर क्यों नहीं इसकी घोषणा करता?अगर जिन –पत्थरों में के बने मंदिरों में ईश्वर रहता है तो वह सामने आकर बताये की उसने छोटा बड़ा आदमी नहीं बनाया?उन्होंने विद्रूप करते हुए कहा था-किसी पत्थर के टुकड़े को मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा कर ईश्वर के रूप ए प्रचारित करने ;उसे मुग्ध करने के लिए देवदासियों का नृत्य,गीत इत्यादि एवं प्रत्येक वर्ष उसके जन्मदिन पर अनुष्ठान आयोजित करने के पीछे कोई युक्ति है?आधुनिक विश्व में कई मशहूर नास्तिक हुए जिन्होंने इश्वर के वजूद को नकारने में बड़े-बड़े दृष्टान्त स्थापित किये किन्तु इस मामले किसी को विश्व चैम्पियन कहा जा सकता है तो वे थान्थई पेरियार ही थे. ऐसे दुर्लभ विश्वरत्न को कोटि-कोटि नमन
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