दिलीप मंडल के फेसबुक वाल से साभार
केंद्र सरकार की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में -
111 प्रोफेसर हैं. इनमें 100 सवर्ण हैं.
90% सवर्ण प्रोफेसर. लगभग सारे प्रगतिशील और वामपंथी हैं.
JNU में OBC और ST कोटे से एक भी प्रोफेसर नहीं हैं. पिछड़ी जाति के जो दो प्रोफेसर हैं, वे भी जनरल कटेगरी में कंपीट करके आए हैं,
90% सवर्ण प्रोफेसर. लगभग सारे प्रगतिशील और वामपंथी हैं.
JNU में OBC और ST कोटे से एक भी प्रोफेसर नहीं हैं. पिछड़ी जाति के जो दो प्रोफेसर हैं, वे भी जनरल कटेगरी में कंपीट करके आए हैं,
238 एसोसिएट प्रोफेसर हैं. इनमें 215 सवर्ण हैं.
252 एसिस्टेंट प्रोफेसर हैं. इनमें 174 सवर्ण हैं.
कुल 606 टीचर हैं, जिनमें 489 सवर्ण हैं.
252 एसिस्टेंट प्रोफेसर हैं. इनमें 174 सवर्ण हैं.
कुल 606 टीचर हैं, जिनमें 489 सवर्ण हैं.
JNU में सिर्फ 20% टीचर ही रिजर्वेशन से आए हैं.
इनमें OBC कितने हैं, यह नहीं बताऊंगा, वरना ओबीसी लोग शर्म से डूब मरेंगे और उनकी आत्महत्या के लिए मुझे दोषी ठहराया जाएगा
जेएनयू में आरक्षण लागू है.
केंद्र में इस दौरान सबसे ज्यादा कांग्रेस और बीजेपी की सरकार है.
शिक्षक संघ हमेशा वामपंथियों के कंट्रोल में है.
एक बार को छोड़कर छात्र संघ हमेशा वामपंथियों के नियंत्रण में है.
केंद्र में इस दौरान सबसे ज्यादा कांग्रेस और बीजेपी की सरकार है.
शिक्षक संघ हमेशा वामपंथियों के कंट्रोल में है.
एक बार को छोड़कर छात्र संघ हमेशा वामपंथियों के नियंत्रण में है.
BAPSA ने इसे बदलने की कोशिश की है...लेकिन शिक्षकों को नाराज करके कैंपस में बने रहना आसान नहीं है. वह भी तब जब वाइवा का वेटेज 30% हो.
आप अंदाजा लगा सकते हैं कि BAPSA किनसे संघर्ष कर रहा है और यह लड़ाई कितनी कठिन है.
आंकड़े- RTI से, तारीख 19 जुलाई, 2016.
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