प्रसिद्ध पंजाबी साहित्यकार दिलीप कौर टिवाणा नें बढ़ती सांप्रदायिकता से क्षुब्ध होकर पद्मश्री लौटाया पंजाबी लेखक सुरजीत पातर नें भी अकादमी पुरस्कार लौटाया
मोदी सरकार से नाराज साहित्यकारों के सम्मान लौटाने का सिलसिला जारी है। मंगलवार को जानी-मानी पंजाबी राइटर दिलीप कौर टिवाणा ने पद्मश्री अवॉर्ड लौटाने का एलान किया। टिवाणा ने देश में बढ़ती सांप्रदायिक घटनाओं, राइट-टू-स्पीच के खिलाफ बने माहौल और लेखकों पर हो रहे हमलों के विरोध में सम्मान लौटाने का फैसला किया। मंगलवार को साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने वालों में पंजाबी राइटर्स सुरजीत पाटर हैं। इससे पहले साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने वाले जाने-माने कवि अशोक वाजपेयी ने पुरस्कार की राशि भी लौटा दी है।
टिवाणा ने कहा, ''यह बुद्ध और नानक की धरती है। सिख 1984 में सांप्रदायिकता की घटनाएं देख चुके हैं। अब मुस्लिमों को निशाना बनाया जा रहा है। भारत के सांप्रदायिक सद्भाव को खत्म करने और समाज को बांटने की कोशिशें की जा रही हैं। जो सच कहते और लिखते हैं और जो सच के साथ खडे हैं, उनपर जानलेवा हमले हो रहे हैं। मैं देश में बन रहे ऐसे हालातों का विरोध करते हुए अपना पद्मश्री सम्मान लौटा रही हूं। मेरा यह फैसला नयनतारा सहगल और दूसरे लेखकों के समर्थन में है।''
लुधियाना में जन्मीं और पटियाला में रह रहीं टिवाणा पटियाला यूनिवर्सिटी में पंजाबी लैंग्वेज की प्रोफेसर रह चुकी है.टिवाणा को 2004 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.उन्हें 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिल चुका है।पंजाब सरकार ने 2007 और 2008 में पंजाबी साहित्य शिरोमणि अवार्ड दिया।27 नॉवेल और शॉर्ट स्टोरीज के 7 कलेक्शन लिखने के अलावा वे महिलाओं के हक में आवाज उठाती रही हैं।टिवाणा का सबसे मशहूर नॉवेल 1969 में लिखा " एहो हमारा जीवन है"(this is our life) है।
कन्नड़ राइटर ने भी लौटाया साहित्य अकादेमी पुरस्कार दादरी की घटना और राइटर्स पर हो रहे हमलों के विरोध में मंगलवार को ही कन्नड़ राइटर प्रोफेसर रहमत तरीकेरी ने भी साहित्य अकादमी लौटाने का एलान किया। प्रोफेसर रहमत कर्नाटक की हम्पी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी हैं। प्रोफेसर रहमत ने कहा कि उन्हें कलबुर्गी, दाभोलकर और गोविंद पानसरे के मर्डर से ठेस पहुंची है। अकादेमी के चेयरमेन को लिखी चिट्ठी में रहमत ने लिखा है, ''यह बेहद दुख की बात है कि अकादेमी ने इन लेखकों की हत्याओं पर कोई विरोध नहीं जताया। बीफ खाने को लेकर फैली अफवाह पर किसी की जान लेने जैसी घटनाएं टॉलरेट नहीं की जा सकती।''
समर्थन में आए रश्दी।बुकर प्राइज से सम्मानित लेखक सलमान रश्दी भी लेखकों के विरोध में शामिल हो गए हैं। रश्दी ने अपने ट्वीट में कहा कि मैं नयनतारा सहगल और कई अन्य राइटर्स के विरोध-प्रदर्शन का समर्थन करता हूं। भारत में अभिव्यक्ति की आजादी के हिसाब से खतरनाक वक्त चल रहा है। |
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