एके पंकज,झारखंड के सामाजिक कार्यकर्ता
साहित्य केे चितेरे देशज भाषाओं में हैं
आप सब कहां भटक रहे हैं जनाब!
ये हैं ओड़िसा के कोसली लोक कवि हलधर नाग जिन्हें अभी-अभी पद्मश्री से नवाजा गया है. जाति से यादव और महज दूसरी कक्षा तक की पढ़ाई. पर ओड़िसा से छत्तीसगढ़ तक इनकी कहानियों और गीतों की धूम. सभी तिकड़मों के बावजूद तथाकथित साहित्य के मठाधीशों और एकदूसरे की पीठ खुजलाते हुए साहित्यकारों को नाग जैसी लोकप्रियता कहां. पद्मश्री मिलते ही अब मीडिया वाले दौड़ पड़े हैं हलधर नाग के घर जबकि बीबीसी उन पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म 2010 के पहले ही बना चुकी है.
साहित्य केे चितेरे देशज भाषाओं में हैं
आप सब कहां भटक रहे हैं जनाब!
ये हैं ओड़िसा के कोसली लोक कवि हलधर नाग जिन्हें अभी-अभी पद्मश्री से नवाजा गया है. जाति से यादव और महज दूसरी कक्षा तक की पढ़ाई. पर ओड़िसा से छत्तीसगढ़ तक इनकी कहानियों और गीतों की धूम. सभी तिकड़मों के बावजूद तथाकथित साहित्य के मठाधीशों और एकदूसरे की पीठ खुजलाते हुए साहित्यकारों को नाग जैसी लोकप्रियता कहां. पद्मश्री मिलते ही अब मीडिया वाले दौड़ पड़े हैं हलधर नाग के घर जबकि बीबीसी उन पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म 2010 के पहले ही बना चुकी है.
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