Tuesday, April 5, 2016

साँच कहें तो मारन धावे -------------------------- राजीव नयन बहुगुणा



साँच कहें तो मारन धावे

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राजीव नयन बहुगुणा
Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna's Profile Photo
आज खबर पढ़ रहा हूँ , कि उत्तराखण्ड के 150 दायित्वधारियों को पैदल कर दिया गया है । ये सभी , या इनमे से अधिकांश स्वयं को मंत्री अथवा राज्य मंत्री कहते थे । जबकि सचाई यह है कि मंत्री बनने के लिए पहले विधायक बनना होता है । इस तरह राज्य में मुख्य मंत्री समेत कुल 11 मंत्री थे । 1 पद खाली था , जो राजनितिक आपदा का कारण बना । बाक़ी सभी फ़र्ज़ी मंत्री थे , जिनकी तनख्वाह उपनल के चपरासी से भी कम थी । लेकिन ये बे शर्म न सिर्फ खुद को मंत्री कहते - लिखते थे , अपितु राज चिन्ह वाला लेटर हेड भी प्रयुक्त करते थे ।
अब ऐसे प्रदेश को क्या कहें , जहां एक पागल , जो कभी फ़ौज़ का सिपाही भी नहीं रहा , स्वयं को फील्ड मार्शल कहता था । वह जेल जाने की बजाय मंत्री बना । देश में आज़ादी के बाद सिर्फ करिअप्पा और मानेक शा फील्ड मार्शल बने । फ़र्ज़ी मंत्री और फील्ड मार्शल देख लिए , अब इस प्रदेश को वह दिन देखना बाक़ी है , जब कोई छुटभैया खुद को राष्ट्रपति या प्रधान मंत्री कहेगा ।


उत्तराखंड के सन्दर्भ में यही कहना है कि सरकारें आती - जाती रहती हैं, लेकिन राज लक्ष्मी को छल - बल से अपहृत करने की परम्परा आखिर जनता को ही दुर्दिन दिखाएगी . दुःख है कि दल बदल की चुड़ैल ने घर देखलिया . अब वह आती - जाती रहेगी. छोटे राज्यों में अल्प मत और बहुमत के बीच बहुधा बहुत सूक्ष्म अंतराल रहता है . ऐसे में दो चार विधायकों की हेर फेर ही अस्थिरता को पर्याप्त है . इस बार भी यही हुआ. मेरी माननीय विधायकों से कर बद्ध प्रार्थना है , कि मेरे पास एक 30000 ( तीस 
हज़ार रूपये ) की . ऍफ़. डी. है, जो मेरे जन्म दिन पर किसी मित्र ने मुझे भेंट की थी . अभी मेरे पास इतना ही है,, इसके सिवा और कुछ नहीं. जब और होगा तो दे दूंगा . वह तीस हजार की रकम मुझसे ले लो, और आपस में बाँट लो , लेकिन प्रदेश को अस्थिर मत करो.

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