सोच इतनी सुंदर है कि कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनका रंग गोरा है या
काला!
उनके जज्बे को सलाम !
#कोच्चि की रहने वाली एक #आर्टिस्ट #पी_एस_जया आजकल आने जाने वाले लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींच लेती हैं. ऐसा नहीं हैं कि वो बहुत खूबसूरत हैं कि लोग उन्हें देखते रह जाते हैं,!
असल में जया का #रंग जरूरत से ज्यादा #काला है. लेकिन यहां खास बात ये हैं कि ये रंग उन्हें 3ईश्वर ने #नहीं दिया बल्कि अपना रंग उन्होंने #खुद ही काला किया है.काले रंग को लोग पसंद नहीं करते और अपने देखने के तरीके से ही वो अपनी नापसंद बता भी देते हैं!
हमारा समाज है ही ऐसा. सिर्फ रंग ही नहीं धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव होना भारत में सामान्य सी बात है!
रोहित वेमुला भी इसी भेदभाव का शिकार हुआ और उसने आत्महत्या कर ली. जया खुद दलित नहीं हैं लेकिन रोहित वेमुला की मौत के बाद, जया ने अपने शरीर को 100 दिनों तक काला करके रंगभेद और जातिभेद का विरोध करने का निर्णय लिया.
27 जनवरी से जया हर रोज इसी तरह खुद को काले रंग में रंग देती हैं. और ऐसे ही लोगों के बीच जाती हैं.
हमारा समाज है ही ऐसा. सिर्फ रंग ही नहीं धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव होना भारत में सामान्य सी बात है!
रोहित वेमुला भी इसी भेदभाव का शिकार हुआ और उसने आत्महत्या कर ली. जया खुद दलित नहीं हैं लेकिन रोहित वेमुला की मौत के बाद, जया ने अपने शरीर को 100 दिनों तक काला करके रंगभेद और जातिभेद का विरोध करने का निर्णय लिया.
27 जनवरी से जया हर रोज इसी तरह खुद को काले रंग में रंग देती हैं. और ऐसे ही लोगों के बीच जाती हैं.
जया कहती हैं- 'रोहित #वेमुला की #मौत के बाद लोगों ने #दलित #मुद्दे पर #खुले तौर पर #बहस छेड़ दी. जब लोग #काले #इंसान को #देखते हैं, वो यही समझते हैं कि ये समाज के किसी #छोटे तबके से होगा. महिला के तौर पर मैंने इस असमानता को पहले कभी महसूस नहीं किया. 70 दिनों से जया ऐसी ही हैं, और 100 दिन पूरे होने के बाद वो #भारतनाट्यम की योजना बना रही हैं जिसे वो #काले #रंग में ही #प्रस्तुत करेंगी.
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