उदय प्रकाश के फेसबुक वाल से
फ़िलहाल, 'बालिका बधू' टीवी सीरियल में आनंदी का रोल निभाने वाली, तीन अभिनेत्रियों में से एक अभिनेत्री प्रत्यूषा बनर्जी की ख़ुदकुशी को हिंदी-अंग्रेज़ी कार्पोरेट टीवी चैनल 'राष्ट्रीय महत्व' का प्राइम न्यूज़ बता रहे हैं। यह कल से आज तक सोशल मीडिया, प्रिंट और टीवी की सबसे बडी खबर है।
टी-२० और कोलकाता के पुल के ढहने के साथ।
शक की सुई हर कोई उसके बॉयफ़्रेंड राहुल राज सिंह की ओर घुमा रहा है, जिसके साथ प्रत्यूषा 'लिव इन रिलेशनशिप' में थी और दोनों एक-दूसरे से प्यार करने की बातें करते थे।
मान लिया जाय, कि यह 'राष्ट्रीय महत्व' की खबर है।
लेकिन जो राष्ट्रीय महत्व की खबर नहीं है, वह है किसानों, दलितों, आदिवासियों, बेरोज़गार नौजवानों की आत्महत्याएँ।
हज़ारों की तादाद में, हर हफ्ते।
राहुल राज सिंह की तरह ही हर राजनीतिक पार्टी उनसे 'प्यार' करने के दावे करती है।
विडंबना हमारे समय की यह है कि ये सारे के सारे, जिसमें किसान, आदिवासी ही नहीं, रोहित वेमुला समेत हज़ारों ख़ुदकुशी करने वाले दलित, अल्पसंख्यक भी शामिल हैं, वे सब सत्तर साल ही नहीं, इसके बहुत पहले से, सवर्णवादी, ब्राह्मणवादी, मनुवादी निरंकुश ठग सत्ता के साथ ' लिव इन रिलेशनशिप' में बने हुए हैं।
लेकिन उनकी बेइंतहा खुदकुशियां और हत्याएँ सिर्फ 'मनोरंजक सनसनी' है।
राष्ट्रीय महत्व की प्राइम न्यूज़ नहीं।
चुप रहिये, वर्ना .... रोहित सरदाना, अर्नब गोस्वामी, चौरसिया जैसे पेड एंकर वग़ैरह ही नहीं, सारा कार्पोरेट सूचनातंत्र तैयार बैठा है, हर नागरिक आवाज़ को 'एंटीनेशनल' साबित करने के लिए।
किसका ये नेशन है भाईजियो ?
smile emoticon
बताइये बंधु, शालीन, तार्किक, तथ्यपरक भाषा में।
फ़िलहाल, 'बालिका बधू' टीवी सीरियल में आनंदी का रोल निभाने वाली, तीन अभिनेत्रियों में से एक अभिनेत्री प्रत्यूषा बनर्जी की ख़ुदकुशी को हिंदी-अंग्रेज़ी कार्पोरेट टीवी चैनल 'राष्ट्रीय महत्व' का प्राइम न्यूज़ बता रहे हैं। यह कल से आज तक सोशल मीडिया, प्रिंट और टीवी की सबसे बडी खबर है।
टी-२० और कोलकाता के पुल के ढहने के साथ।
शक की सुई हर कोई उसके बॉयफ़्रेंड राहुल राज सिंह की ओर घुमा रहा है, जिसके साथ प्रत्यूषा 'लिव इन रिलेशनशिप' में थी और दोनों एक-दूसरे से प्यार करने की बातें करते थे।
मान लिया जाय, कि यह 'राष्ट्रीय महत्व' की खबर है।
लेकिन जो राष्ट्रीय महत्व की खबर नहीं है, वह है किसानों, दलितों, आदिवासियों, बेरोज़गार नौजवानों की आत्महत्याएँ।
हज़ारों की तादाद में, हर हफ्ते।
राहुल राज सिंह की तरह ही हर राजनीतिक पार्टी उनसे 'प्यार' करने के दावे करती है।
विडंबना हमारे समय की यह है कि ये सारे के सारे, जिसमें किसान, आदिवासी ही नहीं, रोहित वेमुला समेत हज़ारों ख़ुदकुशी करने वाले दलित, अल्पसंख्यक भी शामिल हैं, वे सब सत्तर साल ही नहीं, इसके बहुत पहले से, सवर्णवादी, ब्राह्मणवादी, मनुवादी निरंकुश ठग सत्ता के साथ ' लिव इन रिलेशनशिप' में बने हुए हैं।
लेकिन उनकी बेइंतहा खुदकुशियां और हत्याएँ सिर्फ 'मनोरंजक सनसनी' है।
राष्ट्रीय महत्व की प्राइम न्यूज़ नहीं।
चुप रहिये, वर्ना .... रोहित सरदाना, अर्नब गोस्वामी, चौरसिया जैसे पेड एंकर वग़ैरह ही नहीं, सारा कार्पोरेट सूचनातंत्र तैयार बैठा है, हर नागरिक आवाज़ को 'एंटीनेशनल' साबित करने के लिए।
किसका ये नेशन है भाईजियो ?
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बताइये बंधु, शालीन, तार्किक, तथ्यपरक भाषा में।
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