राजस्थान में दलित बच्चों को नंगा करके पीटा गया
प्रधानमंत्री को विदेश यात्रा से लौटने के बाद फिर दलितों ऐर आदिवासियों की याद आयी है और उनका राजधर्म तो गुजरात माडल से ही जगजाहिर है।उनके समावेश का असल अंदाज कुछ निराला ही कहा जाना चाहिए जैसे नागौर में केसरिया राजकाज में दलित महिलाओं से बलात्कार का न्याय तो मिला ही नहीं ,अब बच्चों को भी समता और न्याय का मनुस्मृति पाठ का नजारा यहींच है।
पलाश विश्वास
आई.के मानव ने दिल दहलाने वाली यह यह तस्वीर साझा की है।यह हिंदूराष्ट्र में लोकतंत्र की असली तस्वीर समरस है।
राजस्थान में दलित बच्चों को नंगा करके पीटा गया पर बीजेपी सरकार अंधी बहरी है.....
भूखे नंगों को भी जीने की इजाज़त दे दो
और कुछ ना दो हमें थोड़ी सी इज्ज़त दे दो.
हम इसी देश में जन्मे हैं हम मरेंगे यहीं
रोटी मत दो हमें थोड़ी सी मुरव्वत दे दो .
और कुछ ना दो हमें थोड़ी सी इज्ज़त दे दो.
हम इसी देश में जन्मे हैं हम मरेंगे यहीं
रोटी मत दो हमें थोड़ी सी मुरव्वत दे दो .
प्रधानमंत्री को विदेश यात्रा से लौटने के बाद फिर दलितों ऐर आदिवासियों की याद आयी है और उनका राजधर्म तो गुजरात माडल से ही जगजाहिर है।उनके समावेश का असल अंदाज कुछ निराला ही कहा जाना चाहिए जैसे नागौर में केसरिया राजकाज में दलित महिलाओं से बलात्कार का न्याय तो मिला ही नहीं ,अब बच्चों को भी समता और न्याय का मनुस्मृति पाठ का नजारा यहींच है।
मशहूर पत्रकार उर्मिलेश ने लिखा हैः
सचमुच, अचरज हो रहा है-दलित समाज से आने वाली होनहार छात्रा डेल्टा मेघवाल की हत्या(घटनास्थल बाड़मेर, राजस्थान) के मामले पर बड़े सियासी दलों और मुख्यधारा मीडिया की खामोशी देखकर। ये कहां हैं, 'भारत माता की जय' वाले! उनके शासन में 'भारत बाला' के हत्यारों पर यह रहस्यमय खामोशी क्यों? दूसरा सवाल, मीडिया से जुड़ा: भारतीय मीडिया, खासकर चैनलों के मौजूदा न्यूज-रूम्स में थोड़ी-बहुत सामाजिक-वैचारिक विविधता रहती तो क्या ऐसा होता! हरियाणा में बीते कुछ बरसों के दौरान दलित-महिलाओं के साथ बदसलूकी और बलात्कार की दर्जनों घटनाएं दर्ज हुईं। पर कुछ ही कि.मी.पर अवस्थित राष्ट्रीय मीडिया के मुख्यालयों में कोई हरकत नहीं हुई। इस बारे में विस्तार से जानना है तो RSTV के कार्यक्रम Media Manthan का वह खास एपिसोड देख सकते हैं, जिसमें मीडिया और दलित मुद्दे पर चर्चा हुई थी। You tube से वह खोजा जा सकता है।
नूतन यादव ने लिखा हैः
डेल्टा की कहानी ... इसे कहानी कहते हुए दुःख हो रहा है और दुःख से कहीं ज्यादा क्रोध है ...डेल्टा की यह मृत्युगाथा सिर्फ डेल्टा की ही नहीं है इसकी असंख्य दास्तानें हमारे आसपास भी बिखरी हुई है ...कुछ तो आज इस वक़्त भी लिखी जा रही होंगी ...इन कहानियों में से उस शख्स को पहचानकर बाहर निकालना लाना बहुत जरूरी है जो कभी छिप कर और कभी सामने से लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बनाता है ...अक्सर लड़कियों के स्कूलों में प्रधानाचार्य ,अध्यापक से लेकर निम्न श्रेणी के कर्मचारी तक इस फिराक में रहते हैं कि किस तरह लड़कियों को छूने उनसे चिपकने का मौका मिल सके ...मेरा स्कूल लड़कियों का स्कूल था जहाँ सुबह की प्रार्थना से पहले चपरासी (सरदार) पूरे स्कूल में घूमकर लड़कियों को नीचे मैदान में एकत्र होने के लिए आवाज लगाता था ...उसकी आदत थी कि जिस क्लास में एक लड़की अकेली बैठी देखता वो उसे बाहर से ही प्रार्थना में जाने के लिए न कह कर अंदर क्लास में घुसकर उसे छू कर बात करता था ..और अक्सर ये लड़कियाँ छोटी क्लासों में पढ़ने वाली लडकियाँ होती थी जो या तो क्लास में बैठकर अपना होमवर्क पूरा करती थी अथवा प्रार्थना के दौरान जबरन पहने जाने वाले स्कार्फ़ न लाने के कारण क्लास में छुप कर बैठती थी ...
(मैं यहाँ सिर्फ छूना भर लिख रही हूँ ...आप इसे अपनी कल्पना से विस्तार देकर ज्यादा अच्छे से समझ सकेंगे )
(मैं यहाँ सिर्फ छूना भर लिख रही हूँ ...आप इसे अपनी कल्पना से विस्तार देकर ज्यादा अच्छे से समझ सकेंगे )
बरामदों में भी जब लडकियाँ नीचे की तरफ जा रही होती थी तो उनकी भीड़ में घुसकर चिपक चिपक कर उनसे नीचे जाने के लिए कहता था ...पूरे स्कूल की लडकियाँ उसकी इन हरकतों से परेशान रही ...एक बार ये हरकत मेरे साथ भी हुई ...और क्योंकि मैंने कभी इस तरह की बदतमीजी बर्दाश्त नहीं की इसलिए उस वक़्त भी सबके सामने चिल्लाते हुए उसे डाँटकर कहा कि आइंदा किसी लड़की को छूते हुए या चिपकते हुए देख लिया न तो वो हशर करुँगी जो मरते दम तक याद रखेगा ...
हमेशा भैया कहकर पुकारने वाले आदमी को इस तरह से गरियाने का यह पहला मौका था .
..मेरे समय तक उसकी हरकतों में कुछ कमी तो आई थी लेकिन मेरे बाहर निकलने के बाद किसी दूसरी नूतन ने आवाज उठाई होगी या नहीं ...पता नहीं ...
अक्सर स्कूल कॉलेजों में इस तरह की बीमार मानसिकता वाले लोग मिलते ही हैं ...और हमें अपनी बच्चियों को शुरू से इसके खिलाफ आवाज उठाने और उसका सामना करने के लिए तैयार करना ही होगा
हमेशा भैया कहकर पुकारने वाले आदमी को इस तरह से गरियाने का यह पहला मौका था .
..मेरे समय तक उसकी हरकतों में कुछ कमी तो आई थी लेकिन मेरे बाहर निकलने के बाद किसी दूसरी नूतन ने आवाज उठाई होगी या नहीं ...पता नहीं ...
अक्सर स्कूल कॉलेजों में इस तरह की बीमार मानसिकता वाले लोग मिलते ही हैं ...और हमें अपनी बच्चियों को शुरू से इसके खिलाफ आवाज उठाने और उसका सामना करने के लिए तैयार करना ही होगा
नोट : इस मामले में मैं मेरी माँ पर गई हूँ ..मेरी माँ गाँव से आई थी इसके बावजूद दिल्ली की बसों में उसके साथ सफ़र करते हुए अक्सर उसे बदतमीजी की वजह से लड़ते हुए देखा ...और हर लड़ाई के बाद उसकी एक ही लाइन होती थी कि बदतमीजी कभी मत सहना ....जवाब देना बहुत जरूरी है
आज तुम्हारे सिर पर बैठ कर संविधान के सहारे जो राज कर रहे हैं। याद करो.. वो कभी तुम्हारे जूते साफ किया करते थे। आज तुम्हारे हुजूर हो गये हैं..। क्यों..? हम बंट गए..। हम विभाजित हो गये.. BJP महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष मधु मिश्रा
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