Tuesday, April 26, 2016

और आशाराम बापू की मुक्ति के लिए, भा.ज.पा के धुरंधर राम जेठ्मलानी, सुब्रमण्यम स्वामी और भी न मालूम कितने नेता, जैसे घोर कलियुग आता देख कर साधुओं का परित्राण के लिए (परित्राणाय साधूनाम) बेचैन हैं.

TaraChandra Tripathi
आशाराम बापू आज जेल में हैं. उनका अपराध यही है कि उन्होंने ऋषि परम्परा का पालन किया है. सामन्तों की कौन कहे, हमारे अधिकतर ऋषि तपस्या करते करते इतने बोर हो जाते थे कि वे अपनी काम वासना को संयत नहीं कर पाते थे. पर वे शादी के झमेले में नहीं पड़्ते थे. महाभारत ऐसी मनमानियों की कथा से भरा पड़ा है. पाराशर ऋषि यमुना पार करने के लिए नाव पर बैठे. नाव मछुवारे की बेटी सत्यवती चला रही थी, उसके शरीर से मछली की सी गन्ध आती थी. इसीलिए उसका नाम ही मत्स्यगंधा पड़ गया था. पर एक युवती को, चाहे उसके शरीर से बदबू ही क्यों न आती हो अकेले में देख कर पाराशर जी का मन मचल गया. सत्यवती अनुरोध करती रह गयी. पाराशर ने अपनी मनमानी की. व्यास इसी मनमानी का प्रतिफल हैं. शकुन्तला विश्वामित्र की अवैध सन्तान है, नारद मोहिनी से सम्मोहित हो कर विष्णु से उनका सा सुन्दर रूप मागने जाते हैं. नहीं मिलने पर उन्हें शाप देने लगते हैं भारद्वाज, जो स्वयं दो ऋषियों की सन्तान हैं महिलाओं को माला, और चन्दन के समकक्ष एक भोग्यवस्तु से अधिक नहीं मानते. भरत जब उनके आश्रम में आते हैं तो उनके पुरवासियों के स्वागत के लिए मालाओं चन्दन और औरतों की व्यवस्था (स्रक चन्दन वनितादिक भोगा- रामचरित मानस) करते हैं.
बेचारे आशाराम अपने अनेक सहधर्मियों की तरह धर्म की आड़ में ऐसे पुंसवन कार्य करने के आदी हो थे. और तो बच गये. आशाराम फँस गये. धर्म प्रधान राज्य बनाने की सारी तैयारियों के बावजूद अभी तक मोहन (भागवत) उन्हें मुक्ति नहीं दिला पा रहे हैं. जो दर असल में बापू था, उसका तो हर तरह से पोस्टमा्र्टम हो रहा है. उसके हत्यारे का महिमा मंडन हो रहा है. और आशाराम बापू की मुक्ति के लिए, भा.ज.पा के धुरंधर राम जेठ्मलानी, सुब्रमण्यम स्वामी और भी न मालूम कितने नेता, जैसे घोर कलियुग आता देख कर साधुओं का परित्राण के लिए (परित्राणाय साधूनाम) बेचैन हैं.

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