कोई सत्संग नहीं गया कोई दान नहीं किया कोई भंग नहीं पिया
यकीन मानिये मै जिन्दा हु
किसी भी पुतले की पूजा नही की दुर्गा को अपनी माँ नहीं मानना
कोई सकरात नहीं बनाई कोई सेनक नहीं दी किसी गाय को माँ का दर्जा नहीं दिया
यकीं मानिये बहुत अच्छे से जी रहा हु जिन्दा हु
कोई राम नहीं पढ़ा कोई रामायण नहीं पढ़ी कोई गीता वेद पूरण नहीं पढ़े
कोई होली नही रची कोई दिवाली नहीं रची
यकीन मानिये शांति ही शांति है
इस बार 14 अप्रैल बनाइये अंधविश्वास, और पाखंडवाद मूर्ति पूजा को चुनोती दे कर
और मनुवाद का गला घोट कर
जय भीम
जितेंदर बौद्ध गुडगाँव
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