हिमांशु कुमार
उत्तर प्रदेश में तीन पुलिस वालों को फांसी की सज़ा सुनायी गई है . कुछ दोस्त हमें सुना सुना कर कह रहे हैं कि देखो भारत का न्याय तन्त्र कितना महान है .
लेकिन इस फैसले को ध्यान से देखिये . पुलिस वालों को किसी नागरिक को मारने के कारण सज़ा नहीं हुई है . बल्कि अदालत को गुस्सा इस बात पर आया है कि इन पुलिस वालों ने एक डीएसपी साहब को मार डाला था . सज़ा भी डीएसपी साहब की बेटी के मामले में सुनाई गई है . बेटी भी कलेक्टर साहिबा हैं , और दामाद भी आईएएस हैं .
मारे गये डीएसपी साहब राजपूत थे , फ़ैसला देने वाले जज साहब भी राजपूत हैं .कोई खोजी पत्रकार जांच करे कोई आपसी रिश्तेदारी तो नहीं है . किसी दलित , आदिवासी के मामले में ऐसा फ़ैसला आजादी के बाद कभी आया हो तो मुझे भी बता दें ये राष्ट्रवादी लोग .
हमारे पास मणिपुर से अक्सर एक जज साहब आते रहते हैं . जज साहब को सेना के जवान अदालत से उठा कर ले गये . जज साहब को करेंट के झटके दिये गये .
जज साहब आज तक हमसे न्याय दिलाने में मदद के लिये आग्रह करते रहते हैं .
मणिपुर मूल के जस्टिस हिशाक साहब ने जब असम राइफल्स के खिलाफ मामला सुनना शुरू किया तो उनके चेम्बर को तोड़ फोड दिया गया था .
कश्मीर में मानवाधिकार आयोग ने अनेकों मुसलमान लड़कों के मामलों में जांच पूरी कर ली है .साबित भी हो चुका है कि सेना द्वारा इन लड़कों का अपहरण किया गया था और उन बच्चों की हत्या भी कर दी गई है . लेकिन आज तक एक भी सेना के जवान को भारत की किसी अदालत ने सज़ा नहीं दी है . मानवाधिकार आयोग ने बस इतना किया कि सेना से आग्रह किया कि मारे गये बच्चे के माँ बाप को बच्चों के मारे जाने पर पांच हज़ार रूपये का मुआवजा दे दो .
आप को कल्पना ही नहीं है कि किस तरह इस देश के करोड़ों गरीबों , अल्पसंख्यकों , आदिवासियों और दलितों के लिये न्याय पाना बिल्कुल असम्भव है .
आपके इस पूरे जाति तन्त्र ,आपके साम्प्रदायिक बहुसंख्य्वाद और आपके इस लुटेरे अर्थ तन्त्र के रहते इस पूरे भूभाग में न्याय और शन्ति का राज हो ही नहीं सकता .
आप घोर जातिवादी , साम्प्रदायिक और शोषक हैं ,मैं आपकी किसी भी व्यवस्था की तरफ नहीं हूं .
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