S.r. Darapuri
1995 में मायावती जी के मुख्य मंत्री बनने से पहले एक वार्तालाप के दौरान कांशी राम जी ने मुझसे अचानक पूछा कि "दारापुरी जी! क्या आप ने मेरे गाँव में मेरा घर देखा है?" मैंने उन्हें उत्तर दिया, " नहीं. पर मैंने कुछ दिन पहले एक टीवी चैनल पर आप का घर देखा था." इस पर कांशी राम जी ने कहा " आप ने देखा होगा कि मेरा घर आज भी कच्चा है और मेरे भाई आज भी मजदूरी करते हैं. मैंने आज तक अपनी कोई संपत्ति नहीं बनाई है." वैसे कांशी राम जी पंजाब में मेरे पडोसी जिले के ही निवासी थे. मैं उन्हें तब से जानता था जब वह पूने में नौकरी करते थे और डी. संजीवैया जी की संस्था सेवास्तम्भ में कार्यकर्ता के रूप में काम करते थे.
इस पर मेरे मन में तुरंत विचार आया कि एक तरफ कांशी राम जी इतने त्याग की बात करते हैं और दूसरी तरफ मायावती अभी से अधिकारियों से ट्रांसफर/पोस्टिंग के लिए पैसा ले रही है. यह सर्वविदित है कि मुख्य मंत्री बनने के बाद तो मायावती जी ने उत्तर प्रदेश में अधिकारियों से जो पैसा वसूलना शुरू किया था उस पर तत्कालीन राज्यपाल श्री राजेश्वर राव महोदय को कहना पड़ा था कि उत्तर प्रदेश में ट्रांसफर/पोस्टिंग एक उद्योग बन गया है.
यह सर्वविदित है कि मायावती जी ने मुख्य मंत्री बनने के बाद उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार का नया कीर्तिमान स्थापित किया था. इसी के फलस्वरूप अब वह करोड़ों नहीं अरबों की मालिक है और उसका भाई आनंद तो कई अरबों का मालिक है. अब सोचने के बात यह है कि बिलकुल गरीब घर की दलित बेटी के पास यह संपत्ति कहाँ से आई? वैसे तो मायावती के कुछ अंधभक्तों को इस में कुछ भी गलत दिखाई नहीं देता है क्योंकि उनका तर्क है कि जब दूसरे नेता भ्रष्ट हैं तो मायावती के भ्रष्ट होने में कोई बुराई नहीं है. उनका यह भी तर्क है कि पार्टी चलाने के लिए ऐसा करना ज़रूरी होता है.
इस के विपरीत जरा डॉ. आंबेडकर को देखिये. जब वे नेहरु मंत्री मंडल में श्रम मंत्री थे तो कुछ उद्योगपति जिन का कोई मामला डॉ. आंबेडकर के पास लंबित था, उन के बेटे यशवंत से दिल्ली में मिले थे और उन्होंने अपने पिता जी से अपनी सिफारिश करने के लिए कहा था. जब इस बात का पता डॉ. आंबेडकर को लगा तो उन्होंने उसी दिन यशवंत का बोरिया बिस्तर बंधवा कर उसे दिल्ली से बम्बई भेज दिया था.
इसी तरह एक बार डॉ. आंबेडकर ने बातचीत के दौरान कहा था," मेरे विरोधी मेरे ऊपर तमाम प्रकार के आरोप लगाते रहे हैं परन्तु मेरे ऊपर कोई भी दो आरोप नहीं लगा सका- एक मेरे चरित्र के बारे में और दूसरे मेरी ईमानदारी के बारे में."
क्या मायावती इस प्रकार का दावा करने की हिम्मत कर सकती है?
इस पर मेरे मन में तुरंत विचार आया कि एक तरफ कांशी राम जी इतने त्याग की बात करते हैं और दूसरी तरफ मायावती अभी से अधिकारियों से ट्रांसफर/पोस्टिंग के लिए पैसा ले रही है. यह सर्वविदित है कि मुख्य मंत्री बनने के बाद तो मायावती जी ने उत्तर प्रदेश में अधिकारियों से जो पैसा वसूलना शुरू किया था उस पर तत्कालीन राज्यपाल श्री राजेश्वर राव महोदय को कहना पड़ा था कि उत्तर प्रदेश में ट्रांसफर/पोस्टिंग एक उद्योग बन गया है.
यह सर्वविदित है कि मायावती जी ने मुख्य मंत्री बनने के बाद उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार का नया कीर्तिमान स्थापित किया था. इसी के फलस्वरूप अब वह करोड़ों नहीं अरबों की मालिक है और उसका भाई आनंद तो कई अरबों का मालिक है. अब सोचने के बात यह है कि बिलकुल गरीब घर की दलित बेटी के पास यह संपत्ति कहाँ से आई? वैसे तो मायावती के कुछ अंधभक्तों को इस में कुछ भी गलत दिखाई नहीं देता है क्योंकि उनका तर्क है कि जब दूसरे नेता भ्रष्ट हैं तो मायावती के भ्रष्ट होने में कोई बुराई नहीं है. उनका यह भी तर्क है कि पार्टी चलाने के लिए ऐसा करना ज़रूरी होता है.
इस के विपरीत जरा डॉ. आंबेडकर को देखिये. जब वे नेहरु मंत्री मंडल में श्रम मंत्री थे तो कुछ उद्योगपति जिन का कोई मामला डॉ. आंबेडकर के पास लंबित था, उन के बेटे यशवंत से दिल्ली में मिले थे और उन्होंने अपने पिता जी से अपनी सिफारिश करने के लिए कहा था. जब इस बात का पता डॉ. आंबेडकर को लगा तो उन्होंने उसी दिन यशवंत का बोरिया बिस्तर बंधवा कर उसे दिल्ली से बम्बई भेज दिया था.
इसी तरह एक बार डॉ. आंबेडकर ने बातचीत के दौरान कहा था," मेरे विरोधी मेरे ऊपर तमाम प्रकार के आरोप लगाते रहे हैं परन्तु मेरे ऊपर कोई भी दो आरोप नहीं लगा सका- एक मेरे चरित्र के बारे में और दूसरे मेरी ईमानदारी के बारे में."
क्या मायावती इस प्रकार का दावा करने की हिम्मत कर सकती है?
नोट: इस फोटो में मायावती जी के गले में डला हार फूलों का नहीं बल्कि एक एक हज़ार के नोटों का है जिसकी कीमत पांच करोड़ आंकी गयी थी.
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