Sunday, April 24, 2016

कॉ Kanhaiya का कल का भाषण तो “ऐतिहासिक” था। पूरे भाषण में हर मिनट “बाबासाहेब” तो आते रहे पर भगतसिंह, मार्क्स, लेनिन को कहीं जगह नहीं मिली। पूरी मानवता के इतिहास में सोवियत क्रान्ति एक मील का पत्थर थी व उसके पुरोधा महान लेनिन का जन्मदिवस भी कन्हैया के भाषण से एक दिन पहले ही था, पर उनके भाषण में सोवियत क्रान्ति की उपलब्धियां तो दूर की बात है, उसका व उसके नायकों का जिक्र तक नहीं आया। पूरे भाषण में मार्क्स का जिक्र भी सिर्फ एक बार आया और वो भी सिर्फ कई अन्य नामों के साथ गिनाने के लिए। भगतसिंह का तो नाम भी नहीं लिया गया। वैसे इसका कारण भी कॉ कन्हैया ने अपने भाषण में बता दिया था। उन्होने कहा कि अपनी अपनी घिसी पिटी पार्टी पॉलिटिक्स को हमें छोड़ना होगा। अब जो खुद अपनी पार्टी राजनीति को घिसी पिटी मान बैठे हैं (जो कि है भी) तो उनका भाषण बुर्जुआ राजनीतिज्ञों जैसा ही हो सकता है। कम्युनिज्म, अर्थशास्‍त्र, फासीवाद आदि की उनकी दिवालिया समझ पर तो अलग से लिखना पड़ेगा। गोविन्‍दा की कॉमेडी फिल्‍मों की तरह अपने भाषण को मनोरंजक बनाने के चक्कर में ये नये नवेले नीले कमरेड जिस तरह से झोल झाल कर रहे हैं वो भारत के क्रान्तिकारी आन्दोलन को कहीं से भी सहायता नहीं करेगा, उल्टा नुकसान ही करेगा।


 
कॉ Kanhaiya का कल का भाषण तो “ऐतिहासिक” था। पूरे भाषण में हर मिनट “बाबासाहेब” तो आते रहे पर भगतसिंह, मार्क्स, लेनिन को कहीं जगह नहीं मिली। पूरी मानवता के इतिहास में सोवियत क्रान्ति एक मील का पत्थर थी व उसके पुरोधा महान लेनिन का जन्मदिवस भी कन्हैया के भाषण से एक दिन पहले ही था, पर उनके भाषण में सोवियत क्रान्ति की उपलब्धियां तो दूर की बात है, उसका व उसके नायकों का जिक्र तक नहीं आया। पूरे भाषण में मार्क्स का जिक्र भी सिर्फ एक बार आया और वो भी सिर्फ कई अन्य नामों के साथ गिनाने के लिए। भगतसिंह का तो नाम भी नहीं लिया गया। वैसे इसका कारण भी कॉ कन्हैया ने अपने भाषण में बता दिया था। उन्होने कहा कि अपनी अपनी घिसी पिटी पार्टी पॉलिटिक्स को हमें छोड़ना होगा। अब जो खुद अपनी पार्टी राजनीति को घिसी पिटी मान बैठे हैं (जो कि है भी) तो उनका भाषण बुर्जुआ राजनीतिज्ञों जैसा ही हो सकता है।
कम्युनिज्म, अर्थशास्‍त्र, फासीवाद आदि की उनकी दिवालिया समझ पर तो अलग से लिखना पड़ेगा।
गोविन्‍दा की कॉमेडी फिल्‍मों की तरह अपने भाषण को मनोरंजक बनाने के चक्कर में ये नये नवेले नीले कमरेड जिस तरह से झोल झाल कर रहे हैं वो भारत के क्रान्तिकारी आन्दोलन को कहीं से भी सहायता नहीं करेगा, उल्टा नुकसान ही करेगा।

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