विजेंद्र रावत
दो चक्कियों के बीच पिसकर, राजनीतिक गर्त में चले जाएंगे अधिकाँश बागी विधायक !.
..... गुड़गांव के फाइब स्टार होटल में भाजपा की दावतें छकने वाले कांग्रेस के बागी विधायकों ने यदि समय रहते हुए आत्म मंथन नहीं किया तो उनमें से अधिकाँश विधायकों की कांग्रेस भाजपा रूपी चक्कियों बीच पिसकर राजनीतिक ह्त्या हो जाएगी और वे हमेशा हमेशा के लिए राजनीतिक कूड़ेदान में चले जाएंगे।
यदि इन नेताओं के राजनीतिक परिदृश्य पर नजर दौड़ाएं तो संभवत हरक सिंह रावत के अलावा किसी भी नेता में भाजपा जैसे खाटी दल को झेलने की कुब्बत नहीं है. जिस दल में सतपाल महाराज जैसे हर मामले में दिग्गज नेता भी अब तक असहज महसूस कर हैं उस में बात बात गोली दागने वाले बिगड़ैल चैम्पियन व बात बात पर गाली दागने वाले सुबोध उनियाल की क्या बिसात ? किसी पुराने हाफ पैंट धारी के सामने कभी इनका ऐसा प्रदर्शन हुआ तो इनका हश्र आसानी से समझा जा सकता है.
जहां तक इनको आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट का सवाल है तो इनकी सीटों पर वर्षों से एड़ियां घिस रहे भाजपा व संघ के खगड़ नेता इनको आसानी से टिकट थमा देंगे तो इनकी इस उम्मीद पर सिर्फ हंसा जा सकता है.
उत्तराखंड के जमीनी मुद्दों पर लड़ाई लड़ने के बजाये उत्तराखंड की धरती पर सिर्फ सरकार तोड़कर अराजकता फैलाने के लिए पदार्पण करने वाले पिता -पुत्र, विजय व साकेत की जोड़ी की जमीन पर कितनी पकड़ है इस मामले में किसी भी सच्चे उत्तराखंडी से ज्ञानवर्धन किया जा सकता है.
दोनों पिता -पुत्र यदिं आपदा ग्रस्त पहाड़ की जमीन पर जाकर विकास की कमजोरी को लेकर हरीश रावत सरकार को घेरते तो शायद लोग इनके पीछे लामबंद होते।
यदि उत्तराखंड की राजनीतिक परिस्थियों का ठीक से आंकलन किया जाए तो आसानी से समझा जा सकता हैं कि जिस मानसिकता ने भाजपा के दोनों धुर विरोधी रहे खंडूड़ी और निशंक को मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए कोश्यारी का नाम आते ही दोनों विरोधियों को एक दिया था कमोवेश वही मानसिकता इस काण्ड में सामने आ रही है.
वैसे केंद्र में बैठी भाजपा जितने ज्यादा प्रहार हरीश रावत पर करेगी उतना ही तेजी से उत्तराखंड, दिल्ली व बिहार की राह पर चल निकलेगा। यदि हरीश रावत सरकार गिरी तो आने वाले कई राज्यों के चुनाव में न सिर्फ यह काण्ड भाजपा के खिलाफ प्रमुख मुद्दे के रूप में उभरेगा बल्कि इन राज्यों के चुनाव में हरीश स्टार प्रचारक के रूप में भी उभर सकते हैं.
वैसे बताया जा रहा है कि कई बागी विधायकों को गुड़गांव के होटल में अब अपने राजनीतिक नफे नुकसान के आंकलन करने पर मुर्ग मुस्सलम का स्वाद बेस्वाद लगाने लगा है और मोटे मोटे डनलप चुभने लगे हैं.
राजनीतिक सूत्रों की मानें तो कई बागियों के राजनीतिक सलाहकार उनके सुरक्षित राजनीतिक भविष्य के लिए उनसे घर वापसी लिए चेता चुके हैं.
दो चक्कियों के बीच पिसकर, राजनीतिक गर्त में चले जाएंगे अधिकाँश बागी विधायक !.
..... गुड़गांव के फाइब स्टार होटल में भाजपा की दावतें छकने वाले कांग्रेस के बागी विधायकों ने यदि समय रहते हुए आत्म मंथन नहीं किया तो उनमें से अधिकाँश विधायकों की कांग्रेस भाजपा रूपी चक्कियों बीच पिसकर राजनीतिक ह्त्या हो जाएगी और वे हमेशा हमेशा के लिए राजनीतिक कूड़ेदान में चले जाएंगे।
यदि इन नेताओं के राजनीतिक परिदृश्य पर नजर दौड़ाएं तो संभवत हरक सिंह रावत के अलावा किसी भी नेता में भाजपा जैसे खाटी दल को झेलने की कुब्बत नहीं है. जिस दल में सतपाल महाराज जैसे हर मामले में दिग्गज नेता भी अब तक असहज महसूस कर हैं उस में बात बात गोली दागने वाले बिगड़ैल चैम्पियन व बात बात पर गाली दागने वाले सुबोध उनियाल की क्या बिसात ? किसी पुराने हाफ पैंट धारी के सामने कभी इनका ऐसा प्रदर्शन हुआ तो इनका हश्र आसानी से समझा जा सकता है.
जहां तक इनको आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट का सवाल है तो इनकी सीटों पर वर्षों से एड़ियां घिस रहे भाजपा व संघ के खगड़ नेता इनको आसानी से टिकट थमा देंगे तो इनकी इस उम्मीद पर सिर्फ हंसा जा सकता है.
उत्तराखंड के जमीनी मुद्दों पर लड़ाई लड़ने के बजाये उत्तराखंड की धरती पर सिर्फ सरकार तोड़कर अराजकता फैलाने के लिए पदार्पण करने वाले पिता -पुत्र, विजय व साकेत की जोड़ी की जमीन पर कितनी पकड़ है इस मामले में किसी भी सच्चे उत्तराखंडी से ज्ञानवर्धन किया जा सकता है.
दोनों पिता -पुत्र यदिं आपदा ग्रस्त पहाड़ की जमीन पर जाकर विकास की कमजोरी को लेकर हरीश रावत सरकार को घेरते तो शायद लोग इनके पीछे लामबंद होते।
यदि उत्तराखंड की राजनीतिक परिस्थियों का ठीक से आंकलन किया जाए तो आसानी से समझा जा सकता हैं कि जिस मानसिकता ने भाजपा के दोनों धुर विरोधी रहे खंडूड़ी और निशंक को मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए कोश्यारी का नाम आते ही दोनों विरोधियों को एक दिया था कमोवेश वही मानसिकता इस काण्ड में सामने आ रही है.
वैसे केंद्र में बैठी भाजपा जितने ज्यादा प्रहार हरीश रावत पर करेगी उतना ही तेजी से उत्तराखंड, दिल्ली व बिहार की राह पर चल निकलेगा। यदि हरीश रावत सरकार गिरी तो आने वाले कई राज्यों के चुनाव में न सिर्फ यह काण्ड भाजपा के खिलाफ प्रमुख मुद्दे के रूप में उभरेगा बल्कि इन राज्यों के चुनाव में हरीश स्टार प्रचारक के रूप में भी उभर सकते हैं.
वैसे बताया जा रहा है कि कई बागी विधायकों को गुड़गांव के होटल में अब अपने राजनीतिक नफे नुकसान के आंकलन करने पर मुर्ग मुस्सलम का स्वाद बेस्वाद लगाने लगा है और मोटे मोटे डनलप चुभने लगे हैं.
राजनीतिक सूत्रों की मानें तो कई बागियों के राजनीतिक सलाहकार उनके सुरक्षित राजनीतिक भविष्य के लिए उनसे घर वापसी लिए चेता चुके हैं.
No comments:
Post a Comment