सोच बदलो शौचालय बनवाओ
आप रोज़ यह विज्ञापन सुनते होंगे
सरकार करोड़ों रुपया इस विज्ञापन पर खर्च करती है
लेकिन क्या आपने कभी इस विज्ञापन के पीछे की राजनीति को समझा है ?
यह विज्ञापन आपके दिमाग में यह बात रोज़ रोज़ बिठाता है
कि गरीब लोग इसलिए सड़क पर या रेल लाइनों पर या खुले में शौच करते हैं क्योंकि उनकी सोच गलत है
और गरीब असल में गंदे होते हैं
इस विज्ञापन के कारण आप कभी इस समस्या पर सही तरह से सोच ही नहीं पाते
आपको कभी नहीं बताया जाएगा
कि गरीब इसलिए खुले में शौच करते हैं क्योंकि उनके पास या तो शौचालय के लिए ज़मीन नहीं है
या शौचालय बनाने के लिए पैसा नहीं है
या फिर पानी नहीं है
किसी भी गरीब को कोई मज़ा नहीं आता कि वह घर में बने हुए शौचालय की बजाय रेल की पटरी पर या नाले के किनारे शौच करे
आप रोज़ यह विज्ञापन सुनते होंगे
सरकार करोड़ों रुपया इस विज्ञापन पर खर्च करती है
लेकिन क्या आपने कभी इस विज्ञापन के पीछे की राजनीति को समझा है ?
यह विज्ञापन आपके दिमाग में यह बात रोज़ रोज़ बिठाता है
कि गरीब लोग इसलिए सड़क पर या रेल लाइनों पर या खुले में शौच करते हैं क्योंकि उनकी सोच गलत है
और गरीब असल में गंदे होते हैं
इस विज्ञापन के कारण आप कभी इस समस्या पर सही तरह से सोच ही नहीं पाते
आपको कभी नहीं बताया जाएगा
कि गरीब इसलिए खुले में शौच करते हैं क्योंकि उनके पास या तो शौचालय के लिए ज़मीन नहीं है
या शौचालय बनाने के लिए पैसा नहीं है
या फिर पानी नहीं है
किसी भी गरीब को कोई मज़ा नहीं आता कि वह घर में बने हुए शौचालय की बजाय रेल की पटरी पर या नाले के किनारे शौच करे
यह सरकार की विफलता है कि आज भी देश के करोड़ों लोगों के पास घर नहीं है
घर के नाम पर दस बाई दस फुट के झोपड़ी में पूरा परिवार रहने के लिए मजबूर हैं
करोड़ों लोग पीने के पानी के लिए तीन तीन किलोमीटर पैदल चलते हैं
करोड़ों लोग दो वख्त भर पेट खाना नहीं खाते
रेडियो पर उन् लोगों का मज़ाक बनाना कि इनकी सोच में ही गडबड है
इसलिए ये लोग शौचालय नहीं बनाते
एक राजनैतिक चाल है
घर के नाम पर दस बाई दस फुट के झोपड़ी में पूरा परिवार रहने के लिए मजबूर हैं
करोड़ों लोग पीने के पानी के लिए तीन तीन किलोमीटर पैदल चलते हैं
करोड़ों लोग दो वख्त भर पेट खाना नहीं खाते
रेडियो पर उन् लोगों का मज़ाक बनाना कि इनकी सोच में ही गडबड है
इसलिए ये लोग शौचालय नहीं बनाते
एक राजनैतिक चाल है
सरकार अपनी विफलता का टोकरा
गरीब के माथे पर पटक देती है
और आप बिना सोचे समझे इस बात को स्वीकार कर लेते हैं कि
हाँ ये गरीब तो होते ही गंदे हैं
इनकी सोच ही खराब है
और विद्या बालन ठीक ही कहती है
गरीब के माथे पर पटक देती है
और आप बिना सोचे समझे इस बात को स्वीकार कर लेते हैं कि
हाँ ये गरीब तो होते ही गंदे हैं
इनकी सोच ही खराब है
और विद्या बालन ठीक ही कहती है
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