DON’T MISS: HASTAKSHEP | हस्तक्षेप
मकरंद परांजपे आप प्रोफेसर हैं लेकिन झूठ बोल रहे हैं
स्वाधीनता आंदोलन में भारत के कम्युनिस्टों की शानदार भूमिका रही है सच देखने से क्यों डरते हो मकरंद परांजपे ॽ जगदीश्वर चतुर्वेदी प्रोफेसर मकरंद परांजपे ने जेएनयू में बोलते हुए जेएनयू के वामपंथियों से सारी दुनिया के साम्यवाद की गलतियों का हिसाब मांगा। कमाल की शैली और दृष्टि है परांजपे साहब की ! गलतियां करें […]
COMMUNAL TARGETING OF SCIENTIST GAUHAR RAZA: CITIZENS’ STATEMENT CONDEMNING ZEE NEWS
Citizens’ Statement against zee TV’s brazen targeting of eminent scientist and poet Gauhar Raza. Communal Targeting Of Scientist Gauhar Raza: Citizens’ Statement Condemning Zee News It is quite shocking that Zee news has targeted well known academics who are also widely respected public figures. Over the past week, Nivedita Menon — a feminist political scientist, […]
सांस्कृतिक क्रांति का रोज़ा पार्क रोहित बेमुला तथा नया नायक कन्हैया कुमार
भारत में नवमैकार्थीवादः जेएनयू तथा राष्ट्रद्रोह जेएनयू में देशभक्ति का तांडव कन्हैया के भाषण ने दक्षिणपंथी उग्रवाद को रक्षात्मक बना दिया है सारे पात्र तथा घटनाएं, नवउदारवादी भेष में, ज़ारकालीन रूस से मोदीकालीन भारत में प्रतिष्ठित हो गये फासीवाद यह नहीं जानता, विचार मरते नहीं, इतिहास रचते हैं पावेल की निडर, बहादुर मां आज के […]
मोदी सरकार आने के बाद विद्वान की परख विद्वान नहीं, लफंगे और जाहिल कर रहे
सारे देश में विद्वानगण अपने को लज्जित और अपमानित महसूस कर रहे हैं जेएनयू की आँखें और विश्वचेतना जेएनयू सारे देश के विश्वविद्यालयों से भिन्न है जगदीश्वर चतुर्वेदी जेएनयू पर बहस कर रहे हैं तो हमें यह सवाल उठाना चाहिए कि हमारे विश्वविद्यालयों की आंखें कैसी हैं ॽ विश्वविद्यालयों की आंखें कैसी हैं, यह इस […]
श्री श्री-यमुना विवाद : राष्ट्रीय हरित पंचाट का आदेश
श्री श्री-यमुना विवाद राष्ट्रीय हरित पंचाट का आदेश अरुण तिवारी नई दिल्ली। विश्व सांस्कृतिक उत्सव आयोजन के यमुना भूमि पर किए जाने से उपजे विवाद से आप परिचित ही हैं। विवाद को लेकर राष्ट्रीय हरित पंचाट ने दिनांक नौ मार्च, 2016 अपना आदेश जारी कर दिया है। खबर है कि प्रारम्भिक मुआवजा राशि के आदेश […]
गुगल ,फेसबुक जैसे माध्यमों का आभार कि अबतक संवाद जारी है,अभिव्यक्ति पर अंकुश सेवा का दोष नहीं,सत्ता का हस्तक्षेप है।
जरुरी सेवाओं के साथ साथ अपनी पहचान डिजिटल इंडिया की जरुरी सेवाओं से लेकर हमारे भविष्य की कुंजी भी अब गुगल बाबा के हाथ में है।हम अभिव्यक्ति की जिद पर अड़े रहे तो ईमेल खाता बंद हो जाने की सूरत में हमें पीेएफ से लेकर तमाम जरुरी सेवाओं की कुंजी खोनी पड़ सकती है।
इसलिए हमारे लिए गुगल और फेसबुक की शर्तें मान लेने के सिवाय जीने की दूसरी कोई वैकल्पिक राह नहीं है।
फिर भी हम माध्यम दूसरा तलाशेंगे,वायदा है।
गुगल और फेसबुक ने इतने अरसे तक हमें बने रहने की इजाजत दी है लेकिन कारोबार भारत में चलाना है तो भारत सरकारे के थोंपे नियम भी मानने होंगे,यह उनकी मजबूरी है।यह भी हम समझते हैं।
हमे हंसी आती है उन लोगों पर जो समझते हैं कि आलोचकों को नेट से बाहर कर देने से उनकी सत्ता निरंकुश हो जायेगी।
जब नेट नहीं था,तब भी हम संवाद कर रहे थे।
अब फिर नेट न होगा तो संवाद का सिलसिला थम जायेगा ,ऐसा भी नहीं है।फिर किसी आदमी या औरत की औकात आखिर कितनी होती है कि कयामत सुनामियों को रोक दें।
जनता से डरिये।
अततः सड़कें बोलती हैं।बोलते हैं जल जंगल जमीन पहाड़ और समुंदर।बोलती हैं सड़कें।
जो सर्व शक्तिमान है,वे हमारे लिखे से, बोले से मुयाये जा रहे हैं कैसे चलेगी इनका राजकाज,उनका ईश्वर जानें।
डिजिटल इंडिया में एंड्रायड मोबाइल से लेकर पेंशन पीएफ इनकाम टैक्स,बैकिंग इत्यादि हर जरुरी सेवा ईमेल आईडी से लिंक है।
वे खाते खुलेंगे तभी जब वहां दर्ज ईमेल खाते पर आये कोड को आप चाबी बनाकर घुमायें।
कबीर दास का कोई ईमेल खाता नहीं रहा है।हमारे तमाम संतों और पुरखों का लिखा ही नहीं है कोई और उनकी वाणी या शबद हमारी विरासत है।
हम शुरु से मानते हैं कि ब्लाग या फेसबुक की दीवाल चेलीफोन का विकल्प है।संवाद का माध्यम है।
संवाद शुरु ही नहीं हो सका और हम विमर्श शुरु ही नहीं कर सके तो वैसे ही सारी कवायद बेकार है।
संवाद हुआ हो या न हो,हमारी अभिव्यक्ति बंद दरवाजों और खिड़कियों पर महज दस्तक है।
दरवाजे अब तक न खुले तो वक्त गुजर जाने के बाद खुल जाये तमाम खिड़कियां तो भी वक्त की चुनौतियां तो छूटगया कैच बाउंड्री पार है।
अत्याधुनिक तकनीक और सर्वत्र पहुंच वाली सूचना क्रांति अब कंपनी राज है।
अबाध पूंजी प्रवाह ने वैकल्पिक तमाम सर्विस को खत्म कर दिया है और भारत में सूचना के माध्यमों पर एकाधिकार पूंजी का कब्जा है।
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