Wednesday, March 9, 2016

Poem:आईना -------- आईना दिखाना ही है मेरा काम दिखाता रहा जब तक आईना तुम्हारे दुश्मनों को बांधते रहे तुम मेरी तारीफों के पुल बताते रहे सच्चा धर्म इसे आज आईना तुम्हारी ओर क्या किया बिदक गये तुम बताने लगे मुझे झूठा और मक्कार अब किस बात पर यंकी करू मैं तुम्हारी? by - Mahesh Punetha

आईना
--------
आईना दिखाना ही है
मेरा काम
दिखाता रहा जब तक
आईना तुम्हारे दुश्मनों को
बांधते रहे तुम
मेरी तारीफों के पुल
बताते रहे
सच्चा धर्म इसे
आज आईना
तुम्हारी ओर क्या किया
बिदक गये तुम
बताने लगे
मुझे झूठा और मक्कार
अब किस बात पर
यंकी करू मैं तुम्हारी?
by - Mahesh Punetha

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