Tuesday, March 1, 2016

क्योकि गरीब आदमी बीड़ी पीता है ----------------------------------------- बीड़ी महँगी नहीं की वर्तमान सरकार ने । इसका तर्क यह हो सकता है कि यह गरीब आदमी की चीज है, इसलिए महँगी नहीं की गयी । मैंने बीड़ी पीने वाले बहुत से ग्रामीणों की दुर्दशा देखी हैं । खाँसते-खाँसते तड़प-तड़पकर मरने की उत्तम औषधि(?) है बीड़ी-जब उनका कलेजा मुँह को आ जाता है और आँखें जैसे निकलकर बाहर आ जाएँगी । बलगम के मारे बुरा हाल, फेफड़ा खराब हो जाता है और इलाज के लिए उनकी जेब में फूटी कौड़ी नहीं । मैं तो कहूँगा कि गरीबों की नशे की चीज सस्ती छोड़ देना उनकी ज़िन्दगी के खिलाफ गहरी साजिश का हिस्सा है । बीड़ी का एक पैकेट कम से कम ५०० रुपये की कर दो और अमीरों के लिए अलाऊ कर दो इसे या तो इसका उत्पादन ही बंद करो । सारी नशे की चीजे-बीड़ी, सिगरेट,गाँजा, अफीम, चरस, भाँग और गुटखा बन्द कर दो । इनका उत्पादन किसके लिए ? क्या आम जनता के लिए या उन्हें जहन्नुम भेजने वाले उद्योगपतियों के लिए? (मार्फत -अमलदार "नीहार")



क्योकि गरीब आदमी बीड़ी पीता है
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बीड़ी महँगी नहीं की वर्तमान सरकार ने । इसका तर्क यह हो सकता है कि यह गरीब आदमी की चीज है, इसलिए महँगी नहीं की गयी । मैंने बीड़ी पीने वाले बहुत से ग्रामीणों की दुर्दशा देखी हैं । खाँसते-खाँसते तड़प-तड़पकर मरने की उत्तम औषधि(?) है बीड़ी-जब उनका कलेजा मुँह को आ जाता है और आँखें जैसे निकलकर बाहर आ जाएँगी । बलगम के मारे बुरा हाल, फेफड़ा खराब हो जाता है और इलाज के लिए उनकी जेब में फूटी कौड़ी नहीं । मैं तो कहूँगा कि गरीबों की नशे की चीज सस्ती छोड़ देना उनकी ज़िन्दगी के खिलाफ गहरी साजिश का हिस्सा है । बीड़ी का एक पैकेट कम से कम ५०० रुपये की कर दो और अमीरों के लिए अलाऊ कर दो इसे या तो इसका उत्पादन ही बंद करो । सारी नशे की चीजे-बीड़ी, सिगरेट,गाँजा, अफीम, चरस, भाँग और गुटखा बन्द कर दो । इनका उत्पादन किसके लिए ? क्या आम जनता के लिए या उन्हें जहन्नुम भेजने वाले उद्योगपतियों के लिए? (मार्फत -अमलदार "नीहार")

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