Tuesday, March 1, 2016

Chandan Sharma 4 hrs · नल्स काम कर रहे है, उनपर लगाम लगाना आपके वश में नहीं है. राज्य सरकार अलग बिना की स्लैब के सालाना प्रोफेशनल टेक्स काट ले रही है. मतलब साफ है कि नए टैक्स पेयर खोजना नहीं है, न ही इकोनॉमी को मजबूत करने के लिए नए तरीके खोजना है. मरे हुए को ही बार-बार मारना ही आसान तरीका रह गया है. भारत जैसे देश को वर्ल्ड बैंक के हिसाब से चलाना बिल्‍कुल भी सही नहीं होगा. हमें अपने संसाधनों व जरूरतों के हिसाब से चलना हाेगा. गावों-किसानों पर बजट खर्च करना सही है, पर इसके लिए कोई ठोस खाका आप नहीं बता पाए हैं. मनरेगा के बजट से आपने फ‍िर गड्ढे खोदने और भरने का इंतजाम ही किया है, जो कांग्रेस भी करती आई है. क्या कभी इसका आकलन भी होगा कि अब तक मनरेगा से कितनों का जीवन सुधार पाए या कितना गांव आदर्श बन सका? देशभर में हरियाली कितनी आई या कितने तलाब जीवीत हो गए? केवल राजनीतिक लाभ के लिए हमारे खून-पसीने के पैसे को यूं बर्बाद करने का हम आपको हम नहीं दे सकते. 50 से ज्यादा डायरेक्ट टैक्स पहले से हर कोई झेल रहा है. चुनाव से पहले टैक्स के सरलीकरण पर इतनी बात की गई और अब तक नतीजा सिफर है. एक अादमी एक ही वस्तु या सेवा के लिए दर्जनों बार टैक्स देगा आखिर क्यों? ‪#‎Budget2016‬


नल्स काम कर रहे है, उनपर लगाम लगाना आपके वश में नहीं है. राज्य सरकार अलग बिना की स्लैब के सालाना प्रोफेशनल टेक्स काट ले रही है. मतलब साफ है कि नए टैक्स पेयर खोजना नहीं है, न ही इकोनॉमी को मजबूत करने के लिए नए तरीके खोजना है. मरे हुए को ही बार-बार मारना ही आसान तरीका रह गया है. भारत जैसे देश को वर्ल्ड बैंक के हिसाब से चलाना बिल्‍कुल भी सही नहीं होगा. हमें अपने संसाधनों व जरूरतों के हिसाब से चलना हाेगा.
गावों-किसानों पर बजट खर्च करना सही है, पर इसके लिए कोई ठोस खाका आप नहीं बता पाए हैं. मनरेगा के बजट से आपने फ‍िर गड्ढे खोदने और भरने का इंतजाम ही किया है, जो कांग्रेस भी करती आई है. क्या कभी इसका आकलन भी होगा कि अब तक मनरेगा से कितनों का जीवन सुधार पाए या कितना गांव आदर्श बन सका? देशभर में हरियाली कितनी आई या कितने तलाब जीवीत हो गए?
केवल राजनीतिक लाभ के लिए हमारे खून-पसीने के पैसे को यूं बर्बाद करने का हम आपको हम नहीं दे सकते. 50 से ज्यादा डायरेक्ट टैक्स पहले से हर कोई झेल रहा है. चुनाव से पहले टैक्स के सरलीकरण पर इतनी बात की गई और अब तक नतीजा सिफर है. एक अादमी एक ही वस्तु या सेवा के लिए दर्जनों बार टैक्स देगा आखिर क्यों? ‪#‎Budget2016‬

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