Wednesday, March 2, 2016

राष्ट्रवादी ना होने के भी अपने तर्क है - गाली गलौच के लिए नहीं , विचार विमर्श के लिए

राष्ट्रवादी ना होने के भी अपने तर्क है - गाली गलौच के लिए नहीं , विचार विमर्श के लिए
---------------------------------------------------------------------------------------------
"मेरा सारा काम देशभक्ति और राष्ट्रीयता नामक मूर्खताओं को नष्ट करके बोधपूर्ण स्त्री-पुरुषों का सुन्दर विश्व-समाज बनाना है। राष्ट्रीयता की बकवास मेरे यहाँ नहीं चलेगी। इन लोगों का एक ही काम है : सरहदें बना कर अपने-अपने देश के सबसे सुन्दर और सबसे स्वस्थ युवकों को नाप-तोल कर आपस में लड़वा कर मार डालना और उस पर गर्व करना सिखाना, ताकि सिर्फ बीमारों और कायरों पर आसानी से राज किया जा सके। हर धर्म और हर राजनेता यही कर रहा है। ये मानव-आत्मा के शत्रु हैं। इन्हीं की प्रतिक्रिया में पूरी दुनिया आतंकियों से भरने लगी है। मैं लगातार नए-नए उपाय करके इन्हीं लोगों से निर्दोष लोगों को बचाने में लगा हूँ. मैंने अपने लोगों से पूरी दुनिया भर दी है। वे अब इन मानव-द्रोहियों का जीना हराम कर देंगे।" -ओशो रजनीश
---------------------------------------------------------------------------------------------------------
"मैं अपनी शर्तों पर सच्चे लोगों की स्वतंत्रता के लिए फांसी चढ़ रहा हूँ, मजहबी मूर्खों और नपुंसकों के लिए नहीं।" -भगत सिंह
-----------------------------------------------------------------------------------------------------
"I can work more peacefully in another country to serve the humanity, not in India."- Vivekanand.
-----------------------------------------------------------------------------------------------------
"शान्तिनिकेतन देशभक्तों के लिए नहीं, शांतचित विश्व-नागरिकों के लिए है।" -गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर
---------------------------------------------------------------------------------------------------
"विज्ञान की खोजों का लाभ मानवजाति को तब तक नहीं मिल सकता, जब तक वह देशभक्ति और राष्ट्रीयता जैसी बीमारियों का शिकार है।" -अलबर्ट आइंस्टाइन
------------------------------------------------------------------------------------------------------
"राष्ट्रीयता एक ज़हर है।"- सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन
-----------------------------------------------------------------------
"मेरे यहाँ किसी देशभक्ति या किसी राष्ट्रीयता पर नहीं, बल्कि इनके ख़िलाफ़ चेतना-संवाद और चेतना-कर्म होता है।" -जे. कृष्णमूर्ति।
----------------------------------------------------------------------------------------------साभार - Sainny Ashesh

No comments:

Post a Comment