"जली ठूठ पर बैठ कर गयी कोकिला कूक,
बाल न बांका कर सकी शासन की बन्दूक."
बाल न बांका कर सकी शासन की बन्दूक."
प्रधानमंत्री के 'सत्यमेव जयते' , गृहमंत्री के लश्करे तोयबा से सम्द्धता के ट्वीट , पुलिस कमिश्नर के 'क्लिंचिंग एवीडेंस' और मनुस्मृति इरानी के सफ़ेद झूठ के बावजूद कन्हैय्या और जेएनयू के अन्य छात्रों को 'देशद्रोह' में फंसाने के षड्यंत्र पर यह पहला करारा तमाचा है. संविधान और जनतंत्र को बचाने की मुहिम तेज करने और षड्यंत्रकारियों के विरुद्ध एकजुट रहने की जरूरत और भी ज्यादा है. जेएनयू की युवाशक्ति को सलाम.
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