इरोम शर्मिला के जन्मदिन पर प्रस्तुत है सरला माहेश्वरी की कविता
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इरोम शर्मिला
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इरोम शर्मिला
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खामोश बर्फ की शिला पर
एक जलती ज्वाला
एक जलती ज्वाला
अथक,अविचल, अविराम
साल-दर-साल
नहीं कोई विश्राम
नहीं कोई विश्राम
बंदूक के साये में
बेरंग, बदरंग ज़िंदगी
को कोई कैसे करे सलाम
बेरंग, बदरंग ज़िंदगी
को कोई कैसे करे सलाम
यह मौत को नही
जिंदगी को है पैग़ाम
जिंदगी को है पैग़ाम
काश समझ सकते
सोये हुए हुक्मरान
सोये हुए हुक्मरान
अन्याय का प्रतिकार करते हुए अधिक अपने अधिकार और आजादी के लिए 16 साल से भूख हड़ताल पर बैठी इरोम चानू शर्मिला का आज जन्म दिन है (14 मार्च 1972) l आज़ादी के बाद शांतिपूर्ण ढंग से संघर्ष का नया इतिहास रचने वाली इरोम शर्मिला की हिम्मत , हौसला और प्रतिबद्धता को सलाम l उनके जन्मदिन की बधाई l
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