Thursday, July 28, 2016

बहनजी यदि चाह दें तो घंटों में:पलट सकती है बाजी

बहनजी यदि चाह दें तो घंटों में:पलट सकती है बाजी 

एचएल दुसाध के फेसबुक वाल से साभार

मित्रों,पिछले कुछ दिनों से सवर्णवादी मीडिया यह बताने में एक दूसरे से होड़ लगा रही है कि बेटी के सम्मान में भाजपा सह पुरे सवर्ण समाज के मैदान में उतरने से मायावती की पार्टी बैकफुट पर आ गयी है.मुझे भी ऐसा लगता है कि मामला बुमेरांग हो गया है.मैने कल अमर उजाला,जनसन्देश टाइम्स और दैनिक जागरण तथा आज जन्संदेश टाइम्स और दैनिक जागरण पढ़ा.इन दो दिनों में इन अखबारों में चार राजनीतिक विश्लेषकों के आर्टिकल पढ़े जिसमे सभी यही प्रमाणित करने की कोशिश किये हैं कि बाजी पलट चुकी है और बसपा अपने ही चक्रव्यहू फंस चुकी है.
फिलहाल तो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि बाजी पलट चुकी है.लेकिन पलटी हुई बाजी को भाजपा जैसे एक ऐसे दल के खिलाफ बसपा जैसे दल को अपने पक्षमें करना क्या कठिन है, जो भाजपा इस देश को बर्बराव्स्था में ले जाने के लिए प्रयत्नशील है;जिसका एकमेव लक्ष्य दक्षिण अफ्रीका के विदेशीमूल के गोरों के प्रतिरूप विशेषाधिकारयुक्त सवर्णों का शक्ति के स्रोतों पर 80-85 कब्जे को अटूट रखना है?
मेरे विचार से बहन जी एक घंटे में बाजी पलट सकती है ,यदि लालू प्र.यादव के बिहार विधान सभा-2015 के साल भर पूर्व जारी किये गए निम्न बयान को कांशीराम के भागीदारी दर्शन के आवरण में लपेट के प्रेस के सामने जारी कर दें
'हमें सरकारी ठेंको सहित विकास की तमाम योजनाओं में दलित,आदिवासी,पिछड़ों और अकलियतों के लिए 60 आरक्षण चाहिए '

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