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Sunday, July 24, 2016
Subhash Chandra Kushwaha बेटियों की इज्ज़त करने की संस्कृति रही होती तो JNU की छात्राओं को अपशब्द नहीं कहे गए होते और न जन्मते ही दूध में डुबोकर मारने की कुसंस्कृति पैदा हुई होती ... इतिहास इतना कलुषित है की नौटंकी और असलियत साफ हो जाती है.
बेटियों की इज्ज़त करने की संस्कृति रही होती तो JNU की छात्राओं को अपशब्द नहीं कहे गए होते और न जन्मते ही दूध में डुबोकर मारने की कुसंस्कृति पैदा हुई होती ... इतिहास इतना कलुषित है की नौटंकी और असलियत साफ हो जाती है.
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