Wednesday, July 6, 2016

श्रेयात की बहुजन छात्रों में बढ़ती पैठ को देखते हुए विवि प्रशासन ने पिछले साल इनको एक फ़र्जी केस में फंसाकर हॉस्टल और विवि से बाहर कर दिया। छह महीने की जद्दोजहद के बाद श्रेयात की वापसी हुई। जातिवादी और कुंठित विवि प्रशासन श्रेयात के हौंसले और प्रतिभा का कुछ नहीं बिगाड़ सका। श्रेयात अपनी वैचारिक जज़्बे और प्रतिबद्धता के साथ कारवाँ को आगे बढ़ाने में फिर से जुट गए। अपने साहस का परिचय देते हुए इन्होंने विवि के छात्रविरोधी व जातिवादी रवैये के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया। अभी पी-एच.डी. के लिए हुई प्रवेश परीक्षा में श्रेयात ने सर्वाधिक 88% अंक हासिल करके अव्वल स्थान पाया।

पढ़ाई के दौरान सामाजिक आंदोलनों से जुड़ने वाले छात्रों को अक्सर असफल और पढ़ाई-लिखाई न करके ''राजनीति'' करने वाला करार दिया जाता है। वंचित तबके के ''करियरिस्ट'' छात्र ऐसे छात्रों से दूरी बनाकर रहते हैं ताकि व्यवस्था के ग़ुलाम बनकर खुद के लिए वे कुछ हासिल कर सकें। लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है। प्रायः वैचारिक आंदोलन से जुड़े छात्र निर्भीक, परिवर्तनकामी और मेहनती होते हैं। लिखने-पढ़ने में वे किसी से कम नहीं होते।Shreyat Bouddh बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विवि, लखनऊ में एम.ए.-इतिहास के छात्र हैं और वहाँ बहुजन छात्र आंदोलन का नेतृत्व भी कर रहे हैं। श्रेयात की बहुजन छात्रों में बढ़ती पैठ को देखते हुए विवि प्रशासन ने पिछले साल इनको एक फ़र्जी केस में फंसाकर हॉस्टल और विवि से बाहर कर दिया। छह महीने की जद्दोजहद के बाद श्रेयात की वापसी हुई। जातिवादी और कुंठित विवि प्रशासन श्रेयात के हौंसले और प्रतिभा का कुछ नहीं बिगाड़ सका। श्रेयात अपनी वैचारिक जज़्बे और प्रतिबद्धता के साथ कारवाँ को आगे बढ़ाने में फिर से जुट गए। अपने साहस का परिचय देते हुए इन्होंने विवि के छात्रविरोधी व जातिवादी रवैये के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया। अभी पी-एच.डी. के लिए हुई प्रवेश परीक्षा में श्रेयात ने सर्वाधिक 88% अंक हासिल करके अव्वल स्थान पाया। इसके अतिरिक्त दूसरे विश्वविद्यालयों की पी-एच.डी. लिखित परीक्षा में भी ये उतीर्ण घोषित किए गए हैं। श्रेयात की यह हिम्मत, वैचारिक समर्पण और सामाजिक परिवर्तन की लड़ाई में नेतृत्वकारी भूमिका यूँ ही बनी रहे और वे अपना हर अकादमिक क़िला ऐसे ही फ़तह करते रहें। हमारी असीम मंगलकामनाएँ श्रेयात के साथ हैं....

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