मजदूर की मौत
जैसे मौत नहीं होती !
जैसे मौत नहीं होती !
मजदूर की मौत में
जैसे नहीं होती है कोई पीढ़ा !
जैसे नहीं होती है कोई पीढ़ा !
मजदूर की मौत से
बड़ी खबर है पड़ोसी के कुत्ते का बीमार होना
बड़ी खबर है पड़ोसी के कुत्ते का बीमार होना
मजदूर की मौत पर व्यक्त संवेदना
साहब के जुक़ाम पर व्यक्त दुःख से होती है बहुत कम
साहब के जुक़ाम पर व्यक्त दुःख से होती है बहुत कम
मजदूर का मरना
सभ्य समाज में कोई मानी नहीं रखता !
सभ्य समाज में कोई मानी नहीं रखता !
मजदूर मरते जाते हैं
उनके श्रम पर मज़ा मारने वालों को हया तक नहीं आती ।
उनके श्रम पर मज़ा मारने वालों को हया तक नहीं आती ।
-शैलेन्द्र कुमार शुक्ल
30/06/16
30/06/16
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