TaraChandra Tripathi
दण्डकारण्य में अनेक ऋषि मुनि बैठे हुए भगवान श्रीहरि विष्णु की कथा सुन रहे थे. दसों अवतारों की कथा जब सुना कर ऋषि वैशम्पायन चुप हो गए तो मुनि श्री काकभुशुण्डि जी ने पूछा, हे मुनिश्रेष्ठ, क्या प्रभु के दस ही अवतार रहेंगे, आगे और कोई अवतार नहीं प्रकट होंगे, श्रृष्टि को असुरों और दैत्यों के उत्पात से कौन मुक्ति दिलाएगा? पृथ्वी माता के दुखों और कष्टों को कौन हरेगा? श्री हरि विष्णु क्या दस बार के बाद आना बंद कर देंगे?
ऋषि वैशम्पायन ने कहा, हे मुनिवर आप व्यग्र न हों,श्रीहरि विष्णु ने अपने कृष्णावतार में कहा है, यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारते, परित्राणाय साधुना, विनाशाय च दुष्कृताम संभवामि युगे युगे. मेरी दिब्य दृष्टि बता रही है कि कलि काल में बर्तानिया के म्लेच्छों के जाने के बाद गियासुद्दीन गाजी नाम के असुर के वंशजों का जम्बूद्वीप पर कब्ज़ा हो जाएगा, प्रजा त्राहि त्राहि कर उठेगी, तब प्रभु अपने अत्यंत मनोहर रूप में दाढ़ी रखे हुए प्रकट होंगे. उनके पास कोई अस्त्र शस्त्र नहीं होगा, कोई आयुध नहीं होगा. उनका प्रमुख अस्त्र उनके मुख में वास करेगा, वे अपने जिव्हा के ऊपर रखे अस्त्रों के मार से म्लेच्छ कुल की रानी और युवराज को हरा कर अपदस्थ कर देंगे, फिर धर्म का राज्य होगा, लोग रामराज्य आया है राम राज्य आया है कहेंगे. प्रभु के कहने पर समस्त जम्बूद्वीप में स्वच्छता अभियान चलेगा, लोग लकड़ी के चूल्हों पर खाना पकाना बंद कर देंगे लोग स्मार्ट सिटीज में रहेंगे, ये उन्नत शहर देवराज इंद्र के इन्द्रलोक से भी ज्यादा धन संपन्न और ऐश्वर्यशाली रहेंगे.
मुनि श्री काकभुशुण्डि बोले, मुनिश्रेष्ठ आपने तो मेरी हरिकथा सुनने की इच्छा प्रबल कर दी है, प्रभु के बारे में और कुछ बताइए, मैं तो नया पुराण लिखने की सोचने लगा हूँ, प्रभु की लीलाओं का बखान करना चाहता हूँ.
ऋषि वैशम्पायन जी बोले, प्रभु को अपने इस अवतार में समस्त ब्रह्माण्ड का भ्रमण करना अत्यंत ही प्रिय होगा, वे जम्बूद्वीप पर कभी कभार आवश्यक कार्यों को करने के लिए ही लौटेंगे, उन्हें अत्यधिक मूल्यवान वस्त्र पहनना रुचिकर होगा, वे समस्त जम्बूद्वीप वासियों को भाइयों, बहनों और मितरों कह कर संबोधित करेंगे. उनके मन की बात अखिल ब्रह्माण्ड में गूंजेगी.
ऋषि वैशम्पायन जी बोले, प्रभु को अपने इस अवतार में समस्त ब्रह्माण्ड का भ्रमण करना अत्यंत ही प्रिय होगा, वे जम्बूद्वीप पर कभी कभार आवश्यक कार्यों को करने के लिए ही लौटेंगे, उन्हें अत्यधिक मूल्यवान वस्त्र पहनना रुचिकर होगा, वे समस्त जम्बूद्वीप वासियों को भाइयों, बहनों और मितरों कह कर संबोधित करेंगे. उनके मन की बात अखिल ब्रह्माण्ड में गूंजेगी.
मुनि श्री काकभुशुण्डि बोले, हे मुनिश्रेष्ठ आपने प्रभु की ऐसी लीला बखान की है कि मैं भी उनकी प्रशंसा में कुछ श्लोक और ग्रन्थ लिखना चाहता हूँ.
ऋषि वैशम्पायन जी बोले, हे मुनिवर आपका अब लिखना पढना व्यर्थ है, जम्बूद्वीप पर रोहित सरदाना, सुमित अवस्थी, रजत शर्मा, राहुल कँवल, अंजना ओम कश्यप, और सुधीर चौधरी जैसे ऋषि मुनि प्रकट होंगे जो हर समय प्रभु की भक्ति में लीन रहेंगे, उनका गुणगान करेंगे. करोडो भक्तों की सेना होगी, जो प्रभु के लिए नमो नमो और प्रभु विरोधियों के लिए अपशब्दों का प्रयोग करेंगे. मुनिवर अब मेरे विश्राम का समय हो गया है, मैं अपनी कुटिया में जाता हूँ, और विश्राम करूँगा. आज्ञा दें.
(किसी मित्र की भट्टी सैप अंकना से साभार)
(किसी मित्र की भट्टी सैप अंकना से साभार)
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