Wednesday, June 29, 2016

\\\ वीनुप्रिया को मेरी श्रद्धांजली /// कामरेड शमसाद इलाही शम्स

कॉपी कामरेड Shamshad Elahee ShamsShams की वाल से
तुम अगर गरीब हो, असहाय हो और दुर्भाग्य से यदि ज़ुल्म का शिकार हो तो माफ़ करना भारतीय व्यवस्था तुम्हे न्याय नहीं दे सकती. पूरा ढांचा गरीबो के खून, मेहनत की रोजी रोटी की लूट पर टिका है. सिपाही, चपड़ासी से लेकर जज तक शोषित की बोटियाँ नोचने के लिए बैठे हैं और इनका काम उन्हें बचाना है जिसने तुम पर ज़ुल्म किया है.
इस ढाचे के बचाव में दो किस्म के लोग मिलेंगे, एक वह जो इस व्यवस्था का हिस्सा हैं, दूसरे वो जो इसके भीतर घुसने की जूगत में हैं.
७० साल से इस भ्रम को पालने पोसने में लगा दिए कि एक दिन न्याय मिलेगा, वो उतना ही दूर ठिठक कर चला जाता है जितना वादी चलता है. इस ढाँचे को पलटना ही होगा, तभी न्याय का राज स्थापित होगा. भगत सिंह का रास्ता ही एकमात्र विकल्प है, रेशमी पेबंद बहुत लग चुके, आत्महत्याएं बंद करो, इस रोष का रुख शोषक की तरफ मोड़ने से ही कुछ होगा.
\\\ वीनुप्रिया को मेरी श्रद्धांजली /// कामरेड शमसाद इलाही शम्स

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