Wednesday, July 13, 2016

एक थी डेल्टा -5 - भंवर मेघवंशी

एक थी डेल्टा -5 
- भंवर मेघवंशी
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पुलिस के मुताबिक-
“ श्री जैन आदर्श कन्या शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में बी एस टी सी ,बी एड की 16 छात्राएं संस्था परिसर में बने हॉस्टल में रहती है ,जो 20 मार्च को होली की छुट्टियाँ होने पर हॉस्टल में रहने वालीं छात्राएं अपने अपने गाँव चली गयी . 28 मार्च को छात्रा कुमारी डेल्टा मेघवाल सबसे पहले हॉस्टल में आई . उसके बाद छात्राएं शकीला बानो ,परमेश्वरी व मंजू आई .रात में लगभग 12 .30 बजे इसी हॉस्टल में रहने वाली एक नर्स श्रीमती लीना गुप्ता बाथरूम जाने के लिए जगी तो देखा कि मुख्य दरवाजा थोडा सा खुला हुआ था . गुप्ता ने लड़कियों के कमरे में जा कर देखा तो सभी लड़कियां एक ही कमरे में सो रही थी .कमरा खुला था ओर लाइट भी चालू थी .लेकिन जहाँ डेल्टा का बेड था ,वहां रजाई सीढ़ी रखी हुयी थी ,डेल्टा बेड पर नहीं थी .”
पुलिस के अनुसार –
“ लीना गुप्ता ने सोयी हुयी लड़कियों को जगाया ,उनसे डेल्टा के बारे में पूंछा ,डेल्टा को आवाज लगायी ,आस पास खोजा ,पर वह कहीं नहीं मिली .इसकी सूचना वार्डन प्रिय शुक्ला को दी गयी ,वह हॉस्टल पंहुची .डेल्टा की तलाश की मगर वह कहीं नहीं मिली .फिर वह लड़कियों को लेकर चौकीदार हनुमानसिंह के पास गई .पूरे परिसर में खोजबीन की गयी ,तब भी डेल्टा नहीं मिली .अंततः वार्डन अपने पति प्रतीक शुक्ला जो स्कूल के प्रिंसिपल भी है ,उसे बुला कर लायी .चौकीदार हनुमानसिंह को हॉस्टल परिसर में ही स्थित आवास में रहने वाले पी टी आई विजेन्द्रसिंह को बुलाने भेजा .पहले तो उसने दरवाजा ही नहीं खोला ,बाद में फोन करके दरवाजा खुलवाया गया .पीटीआई ने दरवाजा खोला और लाइट बंद करके बाहर आ गया तथा दरवाजे को बाहर से बंद कर दिया .वह भी डेल्टा की खोजबीन में शामिल हो गया .पीछे से वार्डन उसके क्वाटर में गयी ,लाइट ऑन की तो देखा कि वहां पर चारपाई पर डेल्टा बैठी हुई थी .प्रिया शुक्ला ने डेल्टा से पूंछा कि रात के समय पी टी आई के यहाँ क्यों गई तो डेल्टा का जवाब था कि पीटीआई सर के पास आंवले लेने आई थी .पीटीआई से पूंछा तो उसने बताया कि मैंने उसे नहीं बुलाया ,वह खुद आई थी ,इसके बाद वार्डन प्रिया शुक्ला ओर उसके पति प्रज्ञा प्रतीक शुक्ला ने डेल्टा ओर पीटीआई विजेन्द्रसिंह से अलग अलग कागजों पर माफीनामा लिखवाया .”
पुलिस का दावा है कि –
“ रात्रि 3 बजे डेल्टा को नर्स लीना गुप्ता के साथ वापस हॉस्टल भेज दिया गया .डेल्टा अपने कमरे में जाकर सो गयी .सुबह जब डेल्टा को वहां नहीं पाया तो पता चला कि अभी अभी डेल्टा बाहर की तरफ गयी है .चारों तरफ खोजबीन की गयी ,डेल्टा नहीं मिली .चौकीदार हनुमानसिंह ने डेल्टा को कोलेज परिसर ,रेल्वे स्टेशन व बस स्टेंड पर ढूंढा पर वह कहीं नहीं मिली .वार्डन के ससुर श्याम शुक्ला ने बताया कि सुबह जब मैं घूम रहा था ,तब एक लड़की भोजनालय की तरफ जाते हुए दिखी थी ,जिस पर चौकीदार हनुमानसिंह हॉस्टल की दीवारों के पास तलाश करता हुआ पानी के कुंड को देखा तो उसमें डेल्टा की लाश नजर आई .इस घटना की सूचना प्रिंसिपल प्रज्ञा प्रतीक शुक्ला ,संस्था के महामंत्री जगदीश मल लोढ़ा को दी गयी .उन्होंने इसकी सूचना संस्था के अध्यक्ष ईश्वर चंद बैद को दी .बैद नोखा के पूर्व विधायक कन्हैयालाल झंवर को साथ लेकर कोलेज पंहुचे .घटना की इत्तला थानाधिकारी नोखा को दी गई .इंचार्ज थाना रामकेश घटना स्थल पर पंहुचा .मृतका डेल्टा की लाश को पानी के कुंड से बाहर निकाल कर मोर्चरी रूम सी एच सी नोखा में रखवाई गई .”
ये है श्री आदर्श जैन कन्या शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय स्टाफ ,प्रबंधकों ओर उनसे मिली हुई नोखा पुलिस की कहानी ,जो यह साबित करने का प्रयास करती है कि हॉस्टल की एक नाबालिग दलित छात्रा रात के अँधेरे में अकेली हॉस्टल से बाहर निकली ,अपनी मर्जी से पीटीआई के क्वाटर पर पंहुची ,उसका दरवाजा खुलवाया स्वेच्छा से उसके बेड पर जा कर बैठ गई ,बाद में इसका पता चल जाने पर उसने माफीनामा लिख कर दिया .रात में अपने कमरे में जाकर आराम से सोयी ओर सुबह उठ कर पानी के कुंड में जा कर गिर कर मर गई .ऐसा लगता है जैसे डेल्टा कोई इंसानी जिस्म नहीं बल्कि एक रोबोट थी ,सब कुछ स्वतः ही बेहद सामान्य तरीके से घटित हो गया .
.एक नाबालिग दलित लड़की का रात में गायब होना ,पीटीआई के कमरे में उसका बरामद होना यहाँ के कोलेज के लिए बहुत आम बात की तरह थी ,इतनी बड़ी घटना की सुचना ना रात में पुलिस को दी गई और ना ही डेल्टा के परिजनों को दिया जाना ,क्या साबित करता है .सुबह फिर से डेल्टा का गायब होना ,चारों तरफ ढूंढने का नाटक किया जाना ,फिर भी पुलिस या परिजनों को सूचित नहीं करना ओर अंततः छात्रा की लाश पानी के कुंड में मिलना ,संस्था से जुड़े समस्त लोगों को बुलाया जाना तथा उनके मौके पर पंहुचने के बाद पुलिस का घटना स्थल पर पंहुचना ,किस बात की ओर ईशारा करते है .इससे भी ज्यादा गंभीर बात तो यह है कि संस्था की ओर से सूचना देने के बजाय पुलिस द्वारा लाश मिलने के ढाई घंटे बाद डेल्टा के पिता महेन्द्राराम को फोन के ज़रिये सूचित करना क्या किन्ही संदेहों को जन्म नहीं देता है ?
पुलिस से लेकर कोलेज के प्रशासन की तरफ से जो कहानी रची गई है ,उसको सुनने और अब पुलिस द्वारा प्रस्तुत आरोप पत्र को देखने के बाद इस बनावटी कहानी का झुठापन अपने आप सामने आ रहा है .सब कुछ मैनेज कर लेने की होशियारी के बावजूद भी सैंकड़ों सवाल अनुतरित छुट गए है ,जिनका जवाब न तो बीकानेर पुलिस के पास है और ना ही ईश्वर चंद बैद के आदर्श जैन कोलेज के पास ...( जारी )
- भंवर मेघवंशी
( लेखक स्वतंत्र पत्रकार है,सम्पर्कसूत्र- bhanwarmeghwanshi@gmail.com . व्हाट्सएप- 9571047777 )

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