Pramod Ranjan
बीती रात दो सुखद ख़बरें मिलीं.
पत्रकार मित्र दिलीप मंडल सबरंग नामक वेब पोर्टल के संपादक बनाये गए हैं. 'सबरंग' तीस्ता सीतलवाड़ के संगठन का समाचार-विचार प्रधान वेब पोर्टल है, जो मुख्य रूप से साम्प्रदायिकता विरोधी लेख आदि प्रकाशित करता है.जेएनयू से पीएचडी कर रहे दिलीप को अपने पत्रकारिक जीवन में कई बड़े पत्रकारों के सानिध्य में काम करने का अवसर मिला है. 'सबरंग' से पहले एमजे अकबर उन्हें इंडिया टुडे (हिंदी) में ले गए थे. उस समय तक अकबर आरएसएस और भाजपा से नहीं जुड़े थे. उम्र के तीसरे प्रहर में अपने इस अजीबोगरीब वैचारिक-राजनितिक चुनाव के बावजूद अकबर एक विलक्षण पत्रकार रहे हैं. (उनके पतन पर अलग से लिखूंगा)
बहरहाल, दिलीप ने इन सभी अवसरों का योग्यतापूर्वक सदुपयोग किया. पत्रकारिता के दौरान सीखे गए गुरों का सफल प्रयोग उन्होंने सोशल मीडिया पर किया तथा इस 'स्पेस' में धमाका सा कर दिया. उम्मीद है तीस्ता जी के सानिध्य में दिलीप की पत्रकारिता को वास्तविक ऊंचाई मिलेगी.
दूसरी खबर थोड़ी व्यक्तिगत है. व्यक्तिगत इसलिए क्योंकि मेरे इस मित्र को सोशल मीडिया पर मौजूद कम ही लोग जानते हैं. हिंदी में गंभीर वैचारिक विषयों के विलक्षण ब्लॉग "हाशिया" के संपादक (या कहे, बाबर्ची, भिश्ती, खर- सब) रेयाज उल हक का चयन जेएनयू में फिल्म अध्ययन में शोध के लिए हो गया है. पेंग्विन में हिंदी संपादक रहे युवा कवि रेयाज विश्व साहित्य के गहन अध्येता और बहुत ही रचनाशील अनुवादक हैं.
दोनों मित्रों को को हार्दिक बधाई तथा अपनी- अपनी आगामी यात्राओं के लिए अनंत शुभकामनायें.
(सबरंग और हाशिया के लिंक कमेंट में)
It is very good news for me personally.
Palash Biswas
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