कविता के साथ प्रतिरोध में सीधा उतरने का मतलब 'प्रतिरोध में कविता' होती है ठीक उसी तरह जैसे दूसरी कोई भी कार्रवाई में उतरना होता है मसलन हड़ताल, धरना, प्रदर्शन, घेराव, नारा, भाषण, जुलूस, गीत, बांह में काली पट्टी या मुंह पर पट्टी आदि। प्रतिरोध में कविता की दूसरी विशेषता यह है कि यहां अंतर्वस्तु से ज्यादा कविता के इस्तेमाल में प्रतिरोध पर ज्यादा बल होता है। इस अर्थ में 'प्रतिरोध में कविता' 'प्रतिरोध की कविता' से ज्यादा व्यापकता लिए होती है और इसकी धार भी अलग होती है क्योंकि यहां अंतर्वस्तु में प्रतिरोध व्यवहारिकता के रास्ते कविता में आता है। इसलिए ऐसे कार्यक्रम में सिर्फ कविता पढ़ने से बात नहीं बनती है बल्कि साथ में विचार भी रखने होते हैं। एक जुलाई को आर्ट कॉलेज पटना में किया गया कार्यक्रम कविता के दूसरे कार्यक्रमों से इसी वजह से न सिर्फ अलग था बल्कि विशिष्ट भी था। उसी कार्यक्रम की कुछ तस्वीरें।
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