Wednesday, June 1, 2016

नोडल अधिकारी को महिलाओं द्वारा वनाधिकार कानून की धारा 7 के तहत नोटिस

नोडल अधिकारी को महिलाओं द्वारा वनाधिकार कानून की धारा 7 के तहत नोटिस


वनाधिकार कानून-2006 के नोडल अधिकारी को महिलाओं द्वारा वनाधिकार कानून की धारा 7 के तहत नोटिस
27 मई 2016 
दुधवा नेशनल पार्क पलिया कलां-लखीमपुर खीरी उ0प्र0

आज दिनांक 27 मई 2016 को दुधवा नेशनल पार्क क्षेत्र पलिया-खीरी उ0प्र0 में थारू आदिवासी महिला मज़दूर किसान मंच सम्बद्ध अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन के तहत गठित महिला पंचायत सदस्यों की अगुआई में एकीकृत जनजातीय परियोजना अधिकारी को वनाधिकार कानून की धारा 7 का उल्लेख करते हुए नोटिस थमाया गया। 
दरअसल यहां के 25 गांवों ने 31 जुलाई 2013 को वनाधिकार कानून की नियमावली संशोधन 2012 के तहत सामुदायिक वन संसाधनों के लिये परियोजना अधिकारी के समक्ष अपने दावे प्रस्तुत किये थे, लेकिन 2 वर्ष से अधिक बीत जाने पर दावों का निस्तारण नहीं किया गया। चुनावी मौसम को ध्यान में रखते हुए उ0प्र0 सरकार के निर्देश पर जिलाधिकारी द्वारा इन दावों के निस्तारण के लिये आदेश जारी किये गये। लेकिन इन निर्देशों की अनदेखी करते हुए तमाम गॉवों की फाईलें नियम विरुद्ध आपत्तियां लगाकर तमाम फाईलें ग्राम स्तरीय वनाधिकार समितियों का पुनर्गठन करके नव गठित समितियों के अध्यक्षों और ग्राम प्रधानों को सौंप दी गईं। इसके अलावा जिला स्तरीय समिति का भी पुनर्गठन करके उसमें वनविभाग के तीन अधिकारियों को शामिल कर लिया गया, जिनके द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों को भ्रमित करके दावा निस्तारण की प्रक्रिया को लगातार बाधित किया जा रहा है।
इन्हीं सब परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यहां की महिलाओं द्वारा तय किया गया कि परियोजना अधिकारी को एक दिन की मोहलत देकर वनाधिकार कानून की धारा 7 का उल्लेख करते हुए नोटिस दिया जाये, जिसमें एक दिन के अन्दर फाईलें पूर्व गठित समितियों को सौंपने व अन्य दो मुद्दों पर तत्काल कार्रवाई की मांग की जाये। मांग पूरी ना होने की स्थिति में दीर्घकालीन आंदोलन की चेतावनी दी जाये।
आज दोपहर यहां हाल ही में गठित की गई महिला पंचायत सदस्यों निबादा राणा, फूलमती, अनीता, भजौरी, मिट्ठा देवी की अगुआई में करीब 25 लोगों ने परियोजना कार्यालय में परियोजना अधिकारी को सम्बोधित नोटिस थमाया। परियोजना अधिकारी के लखीमपुर होने की जानकारी पाकर उनसे फोन पर वार्ता की गई व चेतावनी दी गई। वहां मौजूद जिम्मेदार कर्मचारी ग्राम सेवक को नोटिस थमाया गया तो परियोजना अधिकारी के निर्देश पर बताया कि ग्राम प्रधानों के पास गई तमाम फाईलों को कल शाम तक मंगवाकर पूर्व गठित वनाधिकार समितियों को सौंप दिया जायेगा। महिलाओं के उग्र रवैये को देखकर वहां मौजूद अधिकारियों के हाथ पॉव फूलने लगे और की गई तीनों मांगों को जायज़ बताते हुए तत्काल कार्रवाई की बात की गयी। महिलाओं द्वारा तय किया गया है कि अगर परसों सुबह तक तमाम फाईलें ग्राम समितियों को ना सौंपी गईं तो बिना देरी किये प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ दीर्घकालीन आंदोलन का बिगुल बजा दिया जायेगा। अधिकारियों के दबाव में आने और अपनी ताकत के सामने झुकते देखकर महिलायें बहुत उत्साहित होकर लौटीं और अब भविष्य की रणनीति पर विचार कर रही हैं।
-रिपोर्ट निबादा राणा, फूलमती राणा व रजनीश

 नोटिस
प्रति0                                                  दिनांक-27 मई 2016
प्राधिकृत अधिकारी
जिला एकीकृत जनजातीय कल्याण परियोजना विभाग
चन्दन चौकी-पलिया कलां खीरी

विषयः- वनाधिकार कानून नियमावली संशोधन-2012 के तहत दिनांक 31 जुलाई 2013 को 25 गांवों के किये गये दावों की फाइलों, नियम विरुद्ध पुनः गठित की गई ग्राम स्तरीय वनाधिकार समितियों और जिला स्तरीय समित के संदर्भ में।

महोदय
जैसा  कि आपको विदित है कि 
1. दुधवा क्षेत्र के थारु जनजाति बहुल 22 गांवों के सामुदायिक वन संसाधन के अधिकार को मान्यता देने वाले अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी(वन अधिकारों की मान्यता) कानून-2006 व अधिनियम-2008 की नियमावली संशोधन-2012 के तहत ग्राम वनाधिकार  समितियों द्वारा 31 जुलाई 2012 को परियोजना अधिकारी के समक्ष दावे प्रस्तुत किये गये थे और 3 गांवों के दावे एक सप्ताह के अन्दर उसी वक्त प्रस्तुत किये थे। अफसोस है 2 वर्ष से अधिक बीत जाने पर कोई कार्रवाई इन पर नहीं की गई। लेकिन कुछ माह पहले तत्कालीन जिलाधिकारी महोदया सुश्री किंजल सिंह की पहल पर इन दावों को लेकर कार्रवाई शुरु तो हुई लेकिन इसमें नियम विरुद्ध जाकर दावों की फाईलें ग्राम प्रधानों को सौंप दी गई। जबकि वनाधिकार कानून या इसकी नियमावली और संशोधन 2012 में सारी ताकत ग्राम सभा द्वारा चयनित की गई वनाधिकार समितियों के पास है, ग्राम प्रधानों की इस ऐतिहासिक कानून में कोई भूमिका ही नहीं है।
2. जिला स्तर की नवगठित समिति के बारे में जब हमें जानकारी मिली और हमने जांच की तो पाया गया कि इस समिति में वनविभाग के तीन-तीन अधिकारियों को शामिल किया गया है जो कि नियम वनाधिकार कानून की नियमावली के नियम 7 के एकदम विरुद्ध है। जबकि इस ऐतिहासिक कानून की प्रस्तावना में वनाश्रित समुदायों के साथ हुए जिन ऐतिहासिक अन्यायों का उल्लेख किया गया है, उनका सबसे बड़ा ज़िम्मेदार वनविभाग ही है, जिसे केन्द्रीय जनजातीय विभाग द्वारा सन् 2012 में जारी की गई गाईडलाइन में भी स्पष्ट किया गया है।
3. प्राधिकारी जिला जनजातीय कल्याण विभाग श्री यू.के.सिंह से वार्ता करने पर जानकारी मिली की ग्राम स्तरीय वनाधिकार समितियों का पुनर्गठन कर लिया गया है। मान्यवर आप विद्वान अधिकारी भली भांती कानून की नियमावली से अवगत होंगे कि ग्राम स्तरीय वनाधिकार समितियों कोई भी रद्दोबदल का प्रावधान ही नहीं है।(देखें नियम 3) अगर कोई रद्दोबदल होनी भी है तो वह ग्राम सभा की खुली बैठक बुलाकर नियमानुकूल संख्या में सदस्यों की सहमति से ग्राम सभा ही कर सकती है। 
अतः हम आपको सूचित करते हुए मांग करते हैं कि
1. ग्राम स्तरीय वनाधिकार समितियों द्वारा प्रस्तुत किये गये दावों को पूर्व गठित ग्रामस्तरीय वनाधिकार समितियों को एक दिन के अन्दर-अन्दर सौंपा जाये, जिससे कि हम उसमें सुधार आदि करके जल्द से जल्द उप खण्ड स्तरीय समिति के अध्यक्ष उपजिलाधिकारी महोदय के समक्ष प्रस्तुत कर सकें।
2. नवगठित की गई ग्रामस्तरीय वनाधिकार समितियों की कोई कानूनी मान्यता नहीं है उन्हें तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाये और पूर्व गठित समितियों को ही अभी बरकरार रखा जाये। अगर कोई रद्दोबदल करनी है तो ग्राम स्तरीय वनाधिकार समिति ग्राम सभा की खुली बैठक में निर्णय लेकर आपको अवगत करा देगी।
3. जिलास्तरीय समिति में जो वनविभाग के तीन अधिकारी शामिल किये गये हैं उसे भी तत्काल प्रभाव से निरस्त करके वनविभाग के एक अधिकारी को लेकर समिति का गठन किया जाये।
महोदय हम थारु आदिवासी बहुत शांत प्रवृति के लोग हैं, लेकिन अधिकारों के लिये संघर्ष करने का हमारा इतिहास भी है। अतः हम आपको सानुरोध चेतावनी भी देते हैं कि अगर एक दिन के अन्दर-अन्दर हमारी फाईलें हमारे हाथ में नहीं सौंपी गईं और हमारी अन्य दो मांगों पर विचार नहीं किया गया तो हम परियोजना कार्यालय व तहसील प्रशासन के खिलाफ दीर्घकालीन आंदोलन छेड़ने को मजबूर होंगे और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ वनाधिकार कानून की धारा 7 में मिली ताकत का भी हम इस्तेमाल करेंगे। जिसके लिये पूरी तरह से परियोजना विभाग व प्रशासनिक अधिकारी जिम्मेदार होंगे।
भवदीय
समस्त ग्राम स्तरीय वनाधिकार समितियों के अध्यक्ष व समस्त दावाकर्तागण 
प्रतिलिपीः-
1. जिलाधिकारी खीरी
2. मुख्यमंत्री उ0प्र0 सरकार
3. केन्द्रीय जनजातीय कल्याण मंत्रालय
4. समस्त प्रादेशिक व राष्ट्रीय समाचार पत्र




 


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Rajnish
All India Union of Forest Working People
Tharu Adiwasi avm Tarai Kshetra Mahila Mazdoor Kisan Manch
Eidgah Road, Paliakalan Kheri
Uttar Pradesh
Ph : 91-9410471522
email: rajnishorg@gmail.com



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Ms. Roma ( Adv)
Dy. Gen Sec, All India Union of Forest Working People(AIUFWP) /
Secretary, New Trade Union Initiative (NTUI)
Coordinator, Human Rights Law Center
c/o Sh. Vinod Kesari, Near Sarita Printing Press,
Tagore Nagar
Robertsganj,
District Sonbhadra 231216
Uttar Pradesh
Tel : 91-9415233583
Email : romasnb@gmail.com
http://jansangarsh.blogspot.com

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