70 के दशक में हिन्दी कविता के क्षेत्र में जो नई पीढ़ी आई, शंभु बादल उस दौर के कवि हैं। अपनी लम्बी कविता ‘पैदल चलने वाले पूछते हैं’ से वे चर्चा में आये। इसके बाद शंभु बादल की कविताओं के संग्रह ‘मौसम को हांक चलो’ और ‘सपनों से बनते है सपने’ प्रकाशित हुए। अभी हाल में ‘शंभु बादल की चुनी हुई कविताएं’ शीर्षक से उनकी कविताओं का संग्रह आया है। इसका चयन कवि व आलोचक बलभद्र ने किया है। संग्रह के फ्लैप पर तेलुगु के क्रान्तिकारी कवि वरवर राव के विचार तथा भूमिका के बतौर आलोचक आशुतोष कुमार की टिप्पणी है। इसमें 70 कविताएं संग्रहित हैं जो शंभु बादल के काव्य संसार और उनके सरोकार से परिचय कराती हैं।
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