प्रैस विज्ञप्ति 28 मई, 2016
पर्यावरण संरक्षण हो किन्तु गरीबों की लागत पर नहीः
सरकार उद्योगों को पाईपलाईन से सीएनजी की आपूर्ति सुनिश्चित करें
जनआंदोलनों का राष्ट्रीय समंवय, (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) के साथ हम देश भर से पर्यावरण मुद्दों पर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता एवं विभिन्न सामाजिक संगठन, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नोएडा, ग्रेटर नौएडा और गाजियाबाद में वायु प्रदूषण को नियन्त्रित करने के सम्बन्ध में हाल ही में आए आदेश का स्वागत करते है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद के लगभग 700 उद्योगों को आदेश दिया है की या तो ये उद्योग 15 जुलाई तक सीएनजी में तब्दील हो जाये अथवा उद्योग बंद कर दें। हमें उम्मीद है की यदि ये उद्योग ईंधन के तौर पर सीएनजी का उपयोग करते है तो इस क्षेत्र में प्रदूषण में कमी आयेगी। किन्तु इन उद्योगों को सीएनजी की पूरी आपूर्ति, उनकी इकाई तक उपलब्ध कराना भी सरकार की जिम्मेदारी है। सीएनजी की बिना आपूर्ति किये यह आदेश बेमानी है। इसको कारण बनाकर उद्योगो को बंद करना या स्थानांतरित करना भी हजारों मजूदरों के परिवारों की रोजी-रोटी छिनना होगा।
यह भी एक ध्यान देने योग्य बात है कि यह क्षेत्र जमीन की दृष्टी से भी बहुत महत्वपूर्ण है। बिल्डर लॉबी की नजर इस पर है।
हमारा मानना है कि सरकार के विभिन्न विभागों में आपसी ताल मेल होना चाहिए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेश के साथ-साथ यह भी देखा जाना चाहिए की इस एरिया में सीएनजी की पर्याप्त आपूर्ति दी जाये और सुनिश्चित किया जाये की सीएनजी बिना बाधा के, 15 जुलाई से पहले पहंुचाई जाएगी। सरकार सभी उद्योगों तक पाईपलाईन के माध्यम से सीएनजी पहुचाये। यदि इस व्यवस्था में समय लगता है तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को समय अवधि बढ़ानी चाहिए जिससे की उद्योगों को नुकसान न हो। खासकरके गरीब मजदूरों की रोजी-रोटी ना छिने। यह सब इसलिए भी जरूरी है।
हमारी चिंता दो प्रमुख मुद्दों पर है पहला यदि उद्योग बंद कर दिए जाते है तो इसका पहला असर कई हजार मजदूरो पर पड़ेगा उनसे जुड़े परिवारों पर पड़ेगा जिनकी संख्या लाखो में हो सकती है। ये मजदुर निम्न वर्ग के लोग है जिनकी आय आमदनी भी बहुत कम है। उत्तर प्रदेश के इस उद्यौगिक इलाके में गरीबांे की संख्या बढ़ना भी अपमानजनक है। दूसरी मुद्दा यह भी है की प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जल्दी में यह आदेश देकर और फिर बाद में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुपलब्धता दिखाकर इस पूरे आदेश को ही समाप्त कर दे। यह भी नहीं होना चाहिए।
आशंका यह भी है कि इसी कारण को दिखाकर उद्योगों को यहंा से हटाकर दूसरी जगह लगाने की कोशिश ना की जाये। यह भी नही होना चाहिए। क्योकि प्रदूषण वैश्विक समस्या है यदि इन उद्योगों की यहाँ से हटाकर किसी और क्षेत्र में लगाया जाता है तो वह भी गलत है। यह प्रदेश व देश के लिए गलत कदम होगा। प्रदूषण जहाँ पर है उसे वही पर समाप्त या कम किया जाएँ।
पर्यावरण के साथ में गरीबो का ध्यान रखना भी ज्ररूरी है। पर्यवरण बनाम मजदुर ऐसा मुद्दा नही बनना चाहिए। और हम इसके बिलकुल पक्ष में नही है। हम चाहते है की सरकार सीएनजी को कम दरांे पर उपलब्ध कराएँ। पर्यावरण शुद्ध करने की जिम्मेदारी केवल इन उद्योगों की ही नही बल्कि सरकार, प्रदूषण नियं़त्रण बोर्ड की भी है जिन्होंने इन्हें मान्यता दी है। साथ ही उन उपभोक्ताओ की भी है जिनके लिए इन्हें माल बनाता है।
इसलिये हमारा सुझाव व मांग है कीः-ऽ उद्योगों को सीएनजी में तब्दील करने में आने वाली बड़ी लागत को सरकार रियायत देकर व सीएनजी पाईपों को उद्योगों तक पहुंचाकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेश की पूरी तामिल करायें।
ऽ भले ही इसके लियेें सरकार को पर्यावरण शुल्क अलग से लगाना पड़े।
ऽ इस प्रक्रिया को त्वरित गति से पूरा किया जाये और इन सबके पूरा करने के लिये समय सीमा बढानी पड़े तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समय सीमा बढ़ाये।
ऽ किसी भी हालत में उद्योगों को बंद या दूसरी जगह शिफ्ट न किये जाएँ।
पर्यावरण संरक्षण पहली जरुरत है किन्तु गरीबों पर उसकी लागत नही पड़नी चाहिये। जिसके लिये सरकारी विभागों में आपसी तालमेल जरुरी है। पर्यावरण व मजूदर-किसानों के हित संरक्षण के लिये जनआंदोलनों का राष्ट्रीय समंवय, (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) कृतसंकल्प है।
डा0 रुपेश वर्मा विक्रांत तांेगढ़ विमल भाई
{किसान सभा 09953461516} {सेफ 9310842473}
{एनएपीएम 9718479517}
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